हाई कोर्ट ने कैट के चेयरमैन को अवमानना नोटिस जारी जारी किया, जानिए कारण
चर्चित आइएफएस संजीव चतुर्वेदी के चरित्र पंजिका में जीरो अंकन के मामले को केंद्रीय प्रशासनिक अभिकरण कैट की नैनीताल बेंच में सुनने के आदेश का मामला रोचक मोड़ पर पहुंच गया है।
नैनीताल, जेएनएन : चर्चित आइएफएस संजीव चतुर्वेदी के चरित्र पंजिका में जीरो अंकन के मामले को केंद्रीय प्रशासनिक अभिकरण कैट की नैनीताल बेंच में सुनने के आदेश का मामला रोचक मोड़ पर पहुंच गया है। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने आदेश का अनुपालन नहीं करने पर कैट के चेयरमैन को अवमानना नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। यह पहला मौका है जब देश में किसी राज्य की सर्वोच्च अदालत ने किसी अभिकरण के चेयरमैन को अवमानना नोटिस जारी किया है। मौजूदा कैट के चेयरमैन पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं। अगली सुनवाई 20 मार्च नियत की गई है।
दरअसल, 2015-16 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स में मुख्य सतर्कता अधिकारी के पद पर तैनाती के दौरान केंद्र सरकार द्वारा आइएफएस संजीव की एसीआर में जीरो अंकन कर दिया था, जबकि उन्हें रमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला था। जून 2017 में संजीव ने केंद्र के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी तो हाई कोर्ट ने कैट की नैनीताल बेंच ने केंद्र के आदेश पर स्थगनादेश पारित करते हुए कहा कि अंतिम आदेश तक केंद्र की कार्रवाई याचिकाकर्ता के प्रमोशन में बाधक नहीं होगी। जुलाई में ट्रिब्यूनल ने संजीव के पक्ष में आदेश पारित करते हुए केंद्र सरकार एसीआर में शून्य अंकन करने के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि इसे सेवा का हिस्सा न माना जाए। दिसंबर 2017 में केंद्र ने कैट चेयरमैन दिल्ली के समक्ष संजीव का केस ट्रांसफर करने की अर्जी दी। 27 जुलाई को कैट चेयरमैन ने केंद्र की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कैट की नैनीताल बेंच में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी। 13 अगस्त को संजीव ने कैट चेयरमैन के इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी तो हाई कोर्ट ने कैट चेयरमैन का आदेश निरस्त करते हुए केंद्र पर 25 हजार जुर्माना भी लगा दिया।
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने संजीव के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्रीय प्रशासनिक अभिकरण की याचिका को खारिज कर दिया था। कैट चेयरमैन ने याचिका मेें कहा था कि हाई कोर्ट की खंडपीठ कैट से संबंधित नियम-25 का उल्लंघन किया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा था कि कैट चेयरमैन की न्यायिक शक्तियां अन्य न्यायाधीशों से अधिक हैं, लेकिन न्यायिक शक्तियां अन्य न्यायाधीशों के समान हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हाई कोर्ट का आदेश अनुपालन के लिए संजीव ने आठ फरवरी को अवमानना याचिका दायर की। न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद कैट चेयरमैन एन रेड्डी को अवमानना नोटिस जारी किया है।
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