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हाई कोर्ट ने पूछा, प्रदूषण फैला रहीं फैक्ट्रियों को क्‍याें नहीं बंद किया गया, सरकार से मांगा जवाब

हाई कोर्ट ने प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्र‍ियों को अब नहीं बंद करने का सरकार से कारण पूछा है जबकि एेसी फक्ट्रियों को पूर्व में नोटिस भी दिया जा चुका है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 25 Apr 2019 05:14 PM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2019 05:14 PM (IST)
हाई कोर्ट ने पूछा, प्रदूषण फैला रहीं फैक्ट्रियों को क्‍याें नहीं बंद किया गया, सरकार से मांगा जवाब
हाई कोर्ट ने पूछा, प्रदूषण फैला रहीं फैक्ट्रियों को क्‍याें नहीं बंद किया गया, सरकार से मांगा जवाब

नैनीताल, जेएनएन। हाई कोर्ट ने प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्र‍ियों को अब नहीं बंद करने का सरकार से कारण पूछा है, जबकि एेसी फक्ट्रियों को पूर्व में नोटिस भी दिया जा चुका है। कोर्ट ने इस सम्बन्ध में सोमवार तक शपथपत्र पेश करने का निर्देश्‍ा दिया है।

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मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हुई। आज सुनवाई के दौरान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिवक्ता द्वारा कोर्ट में प्रदेश की सभी फैक्ट्रियो की लिस्ट पेश की और कोर्ट को बताया कि उन्होंने प्रदूषण फैला रही कम्पनियो को बन्द करने के नोटिस जारी किये थे परन्तु प्रशाशन ,पुलिस व बिजली विभाग द्वारा इनको बन्द कराने के लिए सहयोग नही कर रहा है जिसके कारण फैक्टरियों को बन्द कराने में दिक्कतें आ रही है।   पूर्व में  सरकार की तरफ से  मौखिक रूप से खण्डपीठ को अवगत कराया गया था कि प्रदूषण बोर्ड द्वारा अभी तक मानकों को पूरा नही करने वाली फैक्ट्रियों को चिन्हित कर लगभग 20 प्रतिशत यानि 130 फैक्ट्रियों को बंद करने का नोटिस जारी कर दिया गया था। केंद्रीय पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड से प्रदेश की सभी फैक्ट्रियो की लिस्ट मांगी थी जिसमे कहा गया था कि प्रदेश की 30 से 35 फैक्ट्रियां ऐसी है जो केंद्रीय पर्यावरण प्रदूषण के मानको को पूरा नही कर पा रहे है। इस रिपोर्ट पर राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि वे इस पर कार्यवाही करे।

मामले के अनुसार ऊधमसिंह नगर निवासी हिमांशु चंदोला ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि ऊधमसिंह नगर में लगभग 27, 28 इंडस्ट्रीज ऐसी है जिनके द्वारा वायु व जल प्रदूषण किया जा रहा है। जिससें कई लोगों की हेपोटाइट‌िस से मौत भी हो गई है। याचिका में कहा कि वहां की कृषि भूमि कृषि लायक भी नहीं रह गई है। वहां का सारा पानी खेतों व नदियों में बहाया जा रहा है जिससे वहां की नदी भी दूषित हो रहा है।

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