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पेड़ कटवाने वाला ही बोला, साहब पेड़ कट गए

By Edited By: Published: Thu, 24 Jul 2014 01:23 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jul 2014 01:23 AM (IST)
पेड़ कटवाने वाला ही बोला, साहब पेड़ कट गए

हल्द्वानी/लालकुआं : टांडा रेंज में सागौन के पेड़ काटने के मामले में वन महकमे के सूत्रों ने नया खुलासा किया है। पता चला है कि लालकुआं के जिस शख्स ने वन महकमे को सूचना दी या भिजवाई। दरअसल, उसने ही पेड़ों पर आरी चलवाई थी। गिल्टे कहां छुपाए, यह तक जानकारी दी थी। वन महकमे ने उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। प्रकरण में रेंज स्टाफ की लापरवाही भी सामने आई है। अफसर जांच कर आरोपियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की बात कह रहे हैं लेकिन 36 घंटे बाद भी बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है।

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तराई केंद्रीय वन प्रभाग के अफसरों को मंगलवार को सूचना मिली कि टाडा रेंज की बीट संख्या 168 में सागौन के दो विशाल पेड़ों पर आरी चली है। वन कर्मियों की टीम मौके पर पहुंची तो तस्कर फरार हो गए। सागौन की लकड़ी के 11 गिल्टे बरामद किए गए। इस मामले में वन क्षेत्राधिकारी गणेश त्रिपाठी ने रहीस उर्फ गुड्डू व अबरार उर्फ मंगलिया समेत छह तस्करों के खिलाफ एचटू काटा। सूत्र ने यहां तक बताया, वह शख्स कुछ साल पहले मीडिया से भी जुड़ा था। उसने अपने घर के प्रयोग के लिए तस्करों को प्रलोभन देकर सागौन के विशाल पेड़ कटवाए थे लेकिन वह किसी कारण गिल्टों को उठा ले जाने में सफल नहीं हुआ। अपनी गर्दन सेफ करने के लिए उसने तस्करों को फंसा दिया और वन महकमे की नजर में हीरो बन गया। यह तो हम नहीं जानते कि वन महकमे के अफसर उस शख्स के बारे में जानते या नहीं, लेकिन इस प्रकरण की गंभीरता से जांच हो जाए तो पूरा मामला खुलकर सामने आ जाएगा।

गले नहीं उतर रहा नरम रुख

घटना के 36 घंटे बीतने के बाद भी वन विभाग ने तस्करों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। तस्करों के लिए विभागीय कर्मियों का नरम रुख लोगों के गले नहीं उतर रहा है। जबकि तस्करों का सरगना रहीस उर्फ गुड्डू व अबरार उर्फ मंगलिया पर वन अधिनियम और वन कर्मियों पर हमला समेत कई अन्य धाराओं में पहले से मुकदमा दर्ज है।

कहीं सफेदपोश का हाथ तो नहीं

टांडा रेंज के जंगल में जिस स्थान से सागौन के पेड़ों पर आरी चली। वह स्थान वार्ड नंबर एक से महज 50 मीटर की दूरी पर है। उक्त क्षेत्र से 100 मीटर की दूरी पर वन विभाग का वर्कशॉप भी है, जहां कई वन कर्मी व अधिकारी रहते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि पेड़ों पर आरी चलने व उनके गिरने की आवाज क्या किसी को क्यों सुनाई नहीं दी। कयास लगाए जा रहे हैं कि उक्त दुस्साहसिक वारदात के पीछे किसी सफेदपोश का हाथ तो नहीं था।

जांच के बाद ही होगा खुलासा

तराई केंद्रीय वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी सनातन का कहना है कि मामले में विभागीय जांच के अलावा पुलिस में मुकदमा दर्ज किया जाएगा। प्रकरण में सफेदपोश या अन्य रसूखदार के लिप्त होने के सवाल पर उन्होने जांच चल रही है कहकर बात को टाल दिया।


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