उत्तराखंडः बागी विधायकों के मामले में सुनवाई अब नौ मई को
कांग्रेस के बागी नौ विधायकों की सदस्यता मामले में हाई कोर्ट में आज न्यायाधीश न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की एकल पीठ के समक्ष आज स्पीकर की ओर से अधिवक्ता अमित सिब्बल ने पक्ष रखा। इस पर कोर्ट ने बागी विधायकों की बहस की तिथि 9 मई नियत की है।
नैनीताल। उत्तराखंड हाई कोर्ट की सुनवाई में भी जंगलों की आग के धुएं ने असर डाल दिया। जंगलों में धधकी आग के धुएं से आसमान घिरा तो बागी विधायकों के अधिवक्ताओं का हेलीकॉप्टर नैनीताल नहीं पहुंच पाया। नतीजतन सदस्यता मामले में जिस अहम फैसले की उम्मीद की जा रही थी, वह सुनवाई की नई तिथि नौ मई घोषित होने के बाद खत्म हो गई। कोर्ट ने बागी विधायकों के अधिवक्ताओं की ओर से दाखिल सीडी को लेकर स्पीकर के अधिवक्ता से जवाब मांगा है।
आज सुबह सवा दस बजे से न्यायाधीश न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की एकल पीठ के समक्ष कांग्रेस के बागी नौ विधायकों की याचिका पर सुनवाई होनी थी। विधायक सुबोध उनियाल, कुंवर प्रणव चैंपियन समेत पूर्व सीएम विजय बहुगुणा, डॉ. हरक सिंह रावत, शैलारानी रावत, उमेश शर्मा काउ, प्रदीप बत्रा, डॉ. शैलेंद्र मोहन सिंघल, अमृता रावत द्वारा दो याचिकाएं दाखिल कर स्पीकर के आदेश को चुनौती दी गई है।
बागी विधायकों के अधिवक्ता विकास बहुगुणा ने कोर्ट को बताया कि वनाग्नि से उठे धुएं की वजह से हेलीकॉप्टर टेक ऑफ नहीं हो रहा है। इस वजह से सीनियर अधिवक्ता सीए सुंदरम नहीं पहुंच पाए। स्पीकर के अधिवक्ता अमित सिब्बल ने इस पर ऐतराज जताया और कहा कि कोर्ट को गुमराह किया जा रहा है।
इसके बाद कोर्ट ने पहले 12 बजे से सुनवाई तय की। इसी बीच सिब्बल की ओर से प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत संबंधी सवाल के बहस में छूट चुके महत्वपूर्ण जवाब पेश करने की फरियाद कोर्ट से की, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। अधिवक्ता सिब्बल ने फिर दोहराया कि नौ बागी विधायकों ने विपक्षी विधायकों के साथ राजभवन जाकर ना केवल संयुक्त हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
स्पीकर द्वारा कारण बताओ नोटिस का जवाब दाखिल करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया। बागी विधायकों के अधिवक्ता राजेश्वर सिंह ने कहा कि स्पीकर द्वारा 26 मार्च को ही न्यूज चैनलों को जानकारी दे दी थी कि विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है, इसके बाद उन्हें 27 मार्च को जवाब देने के लिए बुलाया गया। उन्होंने स्पीकर के 26 मार्च के बयान पर आधारित सीडी प्रार्थना पत्र के साथ कोर्ट में प्रस्तुत की।
उन्होंने संयुक्त ज्ञापन मामले में स्पीकर के अधिवक्ता की दलील का विरोध करते हुए कहा कि विधायकों द्वारा तीन संयुक्त हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन दिए गए, स्पीकर के अधिवक्ता किस ज्ञापन की बात कर रहे हैं, यह साफ नहीं है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने व सहमति के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए नौ मई की तिथि नियत कर दी।
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