यात्रा घोटाला: पूर्व कांग्रेस सरकार के कैबिनेट मंत्री नव प्रभात समेत अन्य से मांगा जवाब
हाई कोर्ट ने 11 बरस पूर्व की कांग्रेस सरकार में हुए घोटाले की सुनवाई की। कोर्ट ने पूर्व मंत्री नवप्रभात व अन्य को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।
By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 27 Mar 2017 04:45 PM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2017 04:00 AM (IST)
नैनीताल, [जेएनएन]: हाई कोर्ट ने सोमवार को राज्य में करीब 11 बरस पूर्व की कांग्रेस सरकार में हुए घोटाले की सुनवाई करते हुए पूर्व मंत्री नवप्रभात व अन्य को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है, जबकि याचिकाकर्ता द्वारा जवाब के एक सप्ताह में प्रति उत्तर दाखिल करने को कहा है।
वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमुर्ति राजीव शर्मा की अध्यक्षता में हुई खंडपीठ में जेपी डबराल की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। कहा कि राज्य में 2002- 2007 के बीच सरकारी खजाने से हुई इस लूट के तार सीधे तौर पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार में वन मंत्री रहे नव प्रभात व उनके मातहत बड़े ब्यूरोक्रेट्स तक सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं।
हाईकोर्ट में दो बरस पूर्व दायर याचिका में दावा किया गया है कि राज्य में इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने की आड़ में दक्षिण अफ्रीका की इस अध्ययन यात्रा का ताना बाना रचा गया। इस यात्रा के लिए बाकायदा राज्य सरकार के
कोष से 20 लाख रुपयों की निकासी कर ली गई। याचिकाकर्ता-सामाजिक कार्यकर्ता व एडवोकेट जय प्रकाश डबराल के मुताबिक तत्कालीन मुख्य वन सरंक्षक डीवीएस खाती के निर्देश पर उपरोक्त विदेश यात्रा के लिए सरकारी कोष से बिना शासकीय अनुमति के 20 लाख रुपये की अवैध तौर पर निकासी कर ली गई। विभागीय दस्तावेजों के मुताबिक खाती के निर्देश पर इसमें से आधी राशि कॉर्बेट नेशनल पार्क में हाईवे रिज़ॉर्ट के मालिक को नकद सुपुर्द कर दिए गए।
याचिका में तत्कालीन मंत्री नवप्रभात के अलावा जिन लोगों को प्रतिवादी बनाया गया है उनमें कांग्रेस सरकार में पूर्व राज्य मंत्री रहे शैलेंद्र मोहन सिंघल, डीवीएस खाती (मुख्य वन संरक्षक), जीएस पांडेय (निदेशक
राजाजी नेशनल पार्क), विनोद सिंघल (वन संरक्षक पारिस्थितिकी पर्यटन) और मुकुंद प्रसाद गुप्ता (मालिक लेजर होटल) के नाम शामिल हैं। याचिका में मांग की गई कि सरकारी खजाने की लूट में शामिल तत्कालीन वन मंत्री व उनके साथ विदेश यात्रा में शामिल रहे लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज हो तथा उच्च न्यायालय की सीधी निगरानी में जांच करवाई जाए।
प्रकरण में प्राप्त प्रमाणों के मुताबिक डीवीएस खाती ने इस यात्रा पर व्यय के लिए अवैध रूप से 20 लाख रुपये वानिकी एवं प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन विकास केंद्र (सीएफडी), वानिकी प्रशिक्षण संस्थान, हल्द्वानी से
निकालने का निर्देश दिया।
मौखिक निर्देश के अनुसार आरके तिवारी (रेंज अधिकारी), पश्चिम तराई वन प्रभाग, रामनगर को संवितरक
के रूप में उपयोग किया गया। श्री खाती के निर्देशानुसार श्री आरके तिवारी ने चेक कैश कराकर दस लाख कॉर्बेट हाइवे रिज़ॉर्ट (जो मुकुन्द प्रसाद गुप्ता का है) के प्रतिनिधि को तीस जून 2006 तथा दस लाख जीएस पांडेय,
निदेशक, राजाजी राष्ट्रीय उद्यान को नकद रूप से दिया, जिसकी रसीद प्राप्त की।
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