सरकार को मंदिर समिति भंग करने का विशेषाधिकार
सरकार ने हाई कोर्ट में जवाब दाखिल कर साफ कर दिया है कि मंदिर समिति को भंग करने का उसे विशेषाधिकार हासिल है।
नैनीताल, [जेएनएन]: भाजपा सरकार बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति भंग करने में मामले में पीछे हटने को तैयार नहीं है। सरकार ने हाई कोर्ट में जवाब दाखिल कर साफ कर दिया है कि मंदिर समिति को भंग करने का उसे विशेषाधिकार हासिल है और समिति का विघटन, हित और उचित संचालन का अधिकार मंदिर समिति अधिनियम-1939 की धारा-(2) एक में सरकार को हासिल है। इसके तहत सुनवाई का मौका देना जरुरी नही है।
मंदिर समिति के दिवाकर चमोली व दिनकर बाबुलकर ने याचिका दायर कर मंदिर समिति को भंग करने के फैसले को चुनौती दी है। उनका कहना था कि सरकार ने पहली अप्रैल को अकारण मंदिर समिति को भंग कर दिया, जबकि समिति का कार्यकाल अभी शेष था। पिछली सुनवाई में सरकार द्वारा फैसले पर अंतरिम रोक लगाई थी।
सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर व सीएससी परेश त्रिपाठी ने बहस करते हुए कहा कि सरकार द्वारा समिति भंग करने में नियम का उल्लंघन नही किया है। न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद याचिकाकर्ताओं को सरकार के जवाब का प्रतिउत्तर दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई दो मई नियत की गई है।
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