राज्य के किसानों के गले का फंदा बन गया है कर्ज
कर्ज उत्तराखंड के किसानों के गले का फंदा बन गया है। प्रदेश में भी कर्ज में डूबे प्रदेश के किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं।
हल्द्वानी, [हयात सिंह पोखरिया]: कर्ज राज्य के किसानों के गले का फंदा बन गया है। प्रदेश में भी कर्ज में डूबे प्रदेश के किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग में कर्ज में डूबे किसान की आत्महत्या का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि खटीमा में कर्ज में डूबे एक और किसान ने अपनी जान दे दी।
दस दिन में आत्महत्या की इन दो घटनाओं ने प्रदेश सरकार की पेशानी पर बल डाल दिया है। वित्त मंत्री प्रकाश पंत की ओर से हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 6,99094 किसानों पर 1096 करोड़ रुपये का कर्जा है। इसके अलावा जमींदारों का अलग। अगर सरकार ने समय रहते उचित कदम नहीं उठाए तो कर्ज का यह फंदा कई किसानों के गले तक पहुंच सकता है।
कर्ज में डूबे बेरीनाग तहसील के पुरानाथल गांव के सरतोला तोक निवासी सुरेंद्र सिंह पुत्र राम सिंह ने 15 जून की रात जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली थी। किसान पर साधन सहकारी समिति और ग्रामीण बैंक का कर्जा था। इसके ठीक नौ दिन बाद खटीमा के कंचनपुरी गांव निवासी किसान रामअवतार पुत्र रामप्रसाद ने गमछे का फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली। रामअवतार पर बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखा नानकमत्ता का 1.75 लाख और एसबीआइ खटीमा शाखा का 1.97 लाख रुपये का कर्जा था।
रामअवतार के पास केवल ढाई एकड़ जमीन है, जिससे उसके दस सदस्यों के परिवार की आजीविका चलती है। खेतीबाड़ी से इतनी इनकम नहीं होती कि वह परिवार के भरण-पोषण के साथ बैंक का कर्जा चुका पाए। कर्ज में डूबे किसानों को उम्मीद थी कि राज्य में भाजपा सरकार बनते ही उनका कर्ज माफ हो जाएगा। भाजपा सरकार के 100 दिन पूरे हो गए हैं, लेकिन अभी तक राज्य सरकार की ओर से इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है।
कृषि बजट में हुई कटौती
प्रदेश में किसानों की हालत खस्ता होने के बावजूद राज्य सरकार ने कृषि बजट में कटौती कर दी। वित्तीय 2017-18 के कृषि बजट में कटौती कर 30971.46 करोड़ का प्रावधान रखा है। जबकि 2016-17 में कृषि बजट 37476.89 करोड़ रुपये था। पिछले बजट की तुलना में इस बार करीब 17 फीसद कटौती की गई।
कृषि से मुंह मोडऩे लगे किसान
प्रदेश में कृषि से मिलने वाले रोजगार में लगातार कमी आ रही है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार कृषि से रोजगार में 2013 के सर्वेक्षण में 34.25 फीसद कर्मी आई। वहीं राज्य के बनने के बाद से कृषि क्षेत्रफल लगातार घट रहा है।
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