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एनएच घोटाले में एनएचएआइ अफसरों के बचाव में केंद्र सरकार

363 करोड़ के एनएच 72 घोटाले में मुकदमा दर्ज होने के बाद केंद्र सरकार एनएच के अफसरों के बचाव में उतर आई है। मुकदमा निरस्त करने के लिए हाइकोर्ट में प्रार्थना पत्र दायर किया है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 29 May 2017 06:25 PM (IST)Updated: Tue, 30 May 2017 06:00 AM (IST)
एनएच घोटाले में एनएचएआइ अफसरों के बचाव में केंद्र सरकार
एनएच घोटाले में एनएचएआइ अफसरों के बचाव में केंद्र सरकार

नैनीताल, [जेएनएन]: ऊधमसिंह नगर में राष्‍ट्रीय राजमार्ग-74 के निर्माण में 363 करोड़ के  मुआवजा घोटाले में केंद्र सरकार बचाव में उतर आई है। प्राथमिकी से नेशनल हाईवे के तीन अधिकारियों के नाम निरस्त करने की मांग को लेकर केंद्र ने हाई कोर्ट में प्रार्थना पत्र दायर किया। जिसे कोर्ट ने अपोषणीय मानते हुए खारिज कर दिया, साथ ही नए सिरे से याचिका दायर करने की छूट प्रदान कर दी।

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कुमाऊं आयुक्त डी सैंथिल पांडियन की जांच रिपोर्ट में इस मामले में 363 करोड़ की अनियमितता का उल्लेख किया गया था। रिपोर्ट के आधार पर दस मार्च को एडीएम वित्त एवं राजस्व प्रताप शाह द्वारा  आठ से दस गुना मुआवजा लेने वाले भू स्वामी, कृषि भूमि को अकृषि भूमि के लिए 143 की कार्रवाई करने वाले एसडीएम, उनके पेशकार, तहसीलदार, लेखपाल, राजस्व कानूनगो, चकबंदी अधिकारी, सहायक चकबंदी अधिकारी, चकबंदी कानूनगो, परियोजना निदेशक एनएचएआइ रुद्रपुर, नजीबाबाद तथा क्षेत्रीय अधिकारी एनएचएआइ के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। 

राज्य सरकार ने इस मामले में एक रिटायर्ड समेत आधा दर्जन पीसीएस अफसरों को निलंबित कर दिया था। सरकार ने मामले की सीबीआइ जांच की संस्तुति केंद्र को कर दी। हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा राज्य सरकार को पत्र भेजकर सीबीआइ जांच से केंद्र के अफसरों के मनोबल पर असर पडऩे का उल्लेख किया था। 

जिसके बाद राज्य में कांग्रेस भाजपा सरकार पर हमलावर है। इधर प्राथमिकी निरस्त करने की मांग को लेकर एनएचएआई के रिजनल अफसर पीसी आर्या, प्रोजेक्ट निदेशक नरेंद्र कुमार व अजय विश्नोई ने हाई कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल कर प्राथमिकी निरस्त करने की मांग की है। सोमवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की एकलपीठ में मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से एटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने एनएचएआइ अफसरों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने की दलील रखी। 

उन्होंने कहा कि एचएचएआइ अफसरों की इसमें कोई भूमिका नहीं है। राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता रमन साह ने कोर्ट के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्राथमिकी निरस्त करने का अधिकार दूसरी पीठ को है, लिहाजा याचिका अपोषषीय है। राज्य सरकार के अधिवक्ता की दलीलों से सहमत होते हुए अदालत ने प्रार्थनापत्र खारिज करते हुए एनएचएआइ अफसरों को नई याचिका दायर करने की छूट प्रदान कर दी। इधर सूत्रों के अनुसार एनएच अफसर मामले में नई याचिका दायर कर दी है। जिस पर मंगलवार को सुनवाई हो सकती है।

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