नव दुर्गा के रूप में पूजी जाती हैं नयना देवी
नैनीताल : कुमाऊं में सबसे पुराने नंदा देवी मंदिर की मान्यता अल्मोड़ा के मंदिर को मिली है। लेकिन नैनीताल के नयना देवी मंदिर को भी पौराणिक ख्याति प्राप्त है। नैना या नयना देवी को भी नंदा देवी की तरह नव दुर्गा के रूप में पूजा जाता है। वर्तमान मंदिर की स्थापना 1883 में की गई थी। इससे पूर्व मंदिर बोट हाउस क्लब के पास था लेकिन 1880 में महाविनाशकारी भूस्खलन के कारण वह ध्वस्त हो गया। प्रत्येक वर्ष नंदा महोत्सव के दौरान मंदिर में भाद्र शुक्ल अष्टमी को विशेष पूजा होती है।
मान्यता है कि कुमाऊं की ईष्ट देवी गौरी के साथ नंदा का आगमन हुआ। नंदा चंद वंशीय राजाओं की कुलदेवी हैं। वर्तमान मंदिर की स्थापना 1883 में मोतीराम शाह ने अंग्रेजों से सवा एकड़ भूमि लेकर की थी। यहां स्थापित मूर्ति काले पत्थर की नेपाली शैली की बनी है। मंदिर पगौड़ा व गौथिक शैली में निर्मित है। मंदिर परिसर में स्थित भैरव मंदिर व नयना मंदिर एक ही शैली से निर्मित है जबकि नवग्रह मंदिर ग्वालियर शैली में निर्मित है।
पुराणों में त्रि ऋषि सरोवर है नैनीताल
स्कंद पुराण के मानस खंड में नैनीताल का जिक्र त्रि ऋषि सरोवर के रूप में है। एक बार ऋषि अत्रि, पुलह व पुलस्त्य मानसरोवर की यात्रा से लौट रहे थे। इस स्थान पर गुजरते वक्त उन्हें प्यास लगी। उन्होंने गड्ढा खोदा और उसमें मानसरोवर से लाया गया जल डाला तो यहां झील बन गई।