पापा मैं जा रहा हूं..
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : 'पापा मैं जा रहा हूं, कल सुबह लौट आऊंगा, फिर क्लीनिक खोलूंगा। बेटा विजय यह कहकर घर से निकला था। वह एनजीओ से भी जुड़ा है और ग्रामीण क्षेत्र में चिकित्सा शिविर लगाना चाहता था', कहते-कहते पिता शंकर दत्त फुलारा की आंखें भर आती हैं। बेटा गया, लेकिन फिर लौट के नहीं आया। होनहार बेटे के निधन से पूरा परिवार फूट-फूट कर रो रहा था।
मुखानी चौराहा निवासी शंकर दत्त फुलारा के दूसरे बेटे डा. विजय फुलारा वहीं होम्योपैथिक क्लीनिक चलाते थे। वह शनिवार को घर से निकले। रामगढ़ मार्ग पर कार अनियंत्रित होकर पलट गई और उसमें डा. विजय फुलारा की मौत हो गई। रविवार को शोक में मुखानी बाजार बंद रहा। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। रानीबाग स्थित चित्रशिला घाट पर उनकी अंत्येष्टि की गई। पिता शंकर दत्त का कहना है कि 20 नवंबर को बड़े बेटे का विवाह होना है। हमारे सामने इतनी बड़ी मुश्किल की घड़ी आ गई। बेटा विजय एनजीओ के जरिये ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर लगाना चाहता था। वह शिविर के लिए जगह ढूंढ़ने रामगढ़ जा रहा था। विजय गरीब मरीजों की सेवा करता था। व्यवहार कुशल था। डा. विजय के निधन पर आसपास के सभी दुकानदारों ने शोक व्यक्त कर दिवंगत आत्मा की शांति को प्रार्थना की।