भारतीय मंगलयान का होगा धूमकेतु से सामना
नैनीताल : लाल ग्रह मंगल की थाह पाने को छोड़ा गया भारतीय मंगलयान का मंगल की कक्षा में पहुंचने पर सबसे पहले एक धूमकेतु से सामना होगा। यह क्षण रोमांच से भरा होगा। वैज्ञानिकों के सामने मंगलयान को धूमकेतु से छोड़े गए अवशेषों से बचाने की बड़ी चुनौती होगी। 24 सितंबर को मंगलयान मंगल की कक्षा में पहुंच जाएगा।
इसरो ने पिछले साल पांच नवंबर क ो मार्स आर्बिटर मिशन यानी मंगलयान को रवाना किया था। तमाम चुनौतियों को पार करता हुआ यह यान निरंतर अपने पथ पर अग्रसर है। जो अगले माह मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित हो जाएगा। इस मिशन की खास बात यह है कि मंगल के करीब पहुंचते ही उसका सामना मंगल की ओर चले आ रहे एक धूमकेतु से होने जा रहा है। सी 2013ए वन साइडिंग स्प्रींग नामक धूमकेतु की खोज पिछले वर्ष पांच जून को हुई थी। पहली बार यह धूमकेतु हमारे सौरमंडल में आया है और मंगल के बेहद करीब से होकर गुजरने वाला है। 19 अक्टूबर को वह मंगल के सर्वाधिक करीब होगा। तब तक मंगलयान भी मंगल की कक्षा में स्थापित हो चुका होगा। मंगल के पास गुजरते समय यह धूमकेतु अपने पीछे कई तरह के अवशेष छोड़ता जाएगा। लाखों किमी लंबी पूंछ में कई तरह की गैस व डस्ट होगी। जिनसे मंगलयान प्रभावित हो सकता है। इससे कई तरह की बाधा यान के सामने आ सकती है। मंगल के करीब पहुंच रहा धूमकेतु 56 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बाधा से पार पाने के लिए तरीके खोज लिए गए हैं।
बड़ी उपलब्धि होगी मंगल मिशन
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के खगोल वैज्ञानिक डा. शशि भूषण पांडे के अनुसार भारतीय मंगलयान मिशन की सफलता बड़ी उपलब्धि है। मंगल के करीब आ रहे धूमकेतु के अवशेषों से यान को कोई बाधा न पहुंचे, इसके लिए वैज्ञानिक ों का मानना है कि यान को मंगल की दिशा के विपरीत दिशा में ले जाना होगा। इससे यान सुरक्षित रहेगा। उन्होंने बताया कि यह धूमकेतु मंगल के काफी नजदीक से होकर गुजरने वाला है। आज तक कोई भी धूमकेतु पृथ्वी के इतने नजदीक से नहीं गुजरा है।