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उत्तराखंड में 58 हजार जन धन खाते हुए मालामाल

प्रदेश में जन-धन योजना के तहत 20,91,113 खाते खुले थे। इनमें से 3,96,936 खातों में आठ नवंबर तक एक रुपया भी नहीं था। नोटबंदी के बाद इनमें से 58,079 खातों में कैश जमा हो गया है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 05 Dec 2016 09:33 AM (IST)Updated: Wed, 07 Dec 2016 07:30 AM (IST)
उत्तराखंड में 58 हजार जन धन खाते हुए मालामाल

हल्द्वानी [प्रदीप रावत]: 500 और 1000 के नोट बंद करने के बाद प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले गए खाते मालामाल हो गए हैं। प्रदेश में नोटबंदी के बाद से अब तक शून्य बैलेंस वाले 3,96,936 खातों में से 15 फीसद खाते 23 दिन में एक्टिवेट हो गए। नैनीताल जिले में ही 9552 खाते एक्टिवेट हुए हैं। इनमें से करीब 981 खातों में एक लाख से अधिक की धनराशि जमा हुई है।

प्रदेश में जन-धन योजना के तहत 20,91,113 खाते खुले थे। इनमें से 3,96,936 खातों में आठ नवंबर तक एक रुपया भी नहीं था। चौंकाने वाली बात यह है कि नोटबंदी के बाद से अब तक रिक्त खातों में से 58,079 खातों में कैश जमा हो गया है। आठ नवंबर से लेकर तीन दिसंबर तक यानी कुल 26 दिनों में से तीन दिन बैंक बंद रहे और बाकी 23 दिन इन खातों में रुपये जमा कराने का सिलसिला चलता रहा। अब भी खातों में रकम आ रही है।

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खुलासे पर विभागों की चुप्पी
केंद्र सरकार भले ही जनधन के खातों में जमा राशि का खुलासा करने के निर्देश दे रही हो, लेकिन वित्तीय एजेंसियां इसका खुलासा नहीं कर रही हैं। एजेंसियों का कहना है कि जानकारी सीधे केंद्र को भेजने के लिए कहा गया है। राज्य में आयकर विभाग करीब 15 हजार खातों की जानकारी भी जुटा चुका है, जिनमें बड़ी रकम जमा हुई है। बैंकों का कहना है कि पूरी जानकारी आरबीआइ ऑनलाइन ही जुटा रहा है।

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आधार से कनेक्ट नहीं हुए 45 फीसद खाते
प्रदेश में अब तक 2091113 खातों में से महज 45 फीसद खाते ही आधार से जुड़े हैं। जबकि इन खातों को आधार से कनेक्ट करना अनिवार्य किया गया है।

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फैक्ट फाइल
-प्रदेश में कुल जनधन खाते - 2091113
-प्रदेश में अब तक खातों में कुल जमा - 978.27 करोड़
-आधार से कनेक्ट खाते 961084
-नोटबंदी से पहले कुल शून्य बैलेंस खाते - 396936
-नोटबंदी के बाद शून्य बैलेंस खाते- 338857

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जनधन खातों की जानकारी ऑनलाइन ही जुटा रहा है आरबीआइ
हल्द्वानी के लीड बैंक मैनेजर डीके जायसवाल ने बताया कि जनधन खातों की जानकारी आरबीआइ ऑनलाइन ही जुटा रहा है। बैंकों से जो जानकारी मांगी जा रही है, वह मुहैया कराई जा रही है। बैंकों को इनकी जानकारी सार्वजनिक नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं।

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