धर्मांतरण कानून बनाने पर विचार करे उत्तराखंड सरकार: हाईकोर्ट
हार्इकोर्ट ने राज्य सरकार को एक सुझाव देते हुए कहा है कि उत्तराखंड में भी फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट धार्मिक भावनाओं को आहत किए बिना बनाया जाए।
नैनीताल, [जेएनएन]: लव जिहाद के एक मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने धार्मिक भावनाओं पर आघात किए बगैर मध्य प्रदेश व हिमाचल की तर्ज पर धर्मान्तरण कानून बनाने का सुझाव उत्तराखंड सरकार को दिया। कोर्ट ने साफ किया कि वह सरकार को एक्ट बनाने के लिए नहीं कह सकती है, लेकिन बदलते सामाजिक परिवेश को देखते हुए सुझाव दे रही है।
दरअसल सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने यह बात आई कि महज युवती की भावनाओं से खेलने के लिए एक मुस्लिम युवक कथित तौर पर हिंदू बन गया। भेद खुलने पर युवती उसके साथ रहने को राजी नहीं हुई। कोर्ट ने शादी को अमान्य घोषित करते हुए युवती को मां-बाप के साथ भेज दिया। मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की एकलपीठ में हुई।
18 सितंबर को ऊधमसिंह नगर के रुद्रपुर की एक युवती घर से गायब हो गई थी। युवती के पिता ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की तो कोर्ट ने एसएसपी ऊधमसिंह नगर को तलब कर लिया। एसएसपी डॉ सदानंद दाते ने कोर्ट में उपस्थित होकर वक्त मांगा। इधर, 14 नवंबर को गायब युवती को पुलिस ने धामपुर बिजनौर(उप्र) निवासी आदिल हुसैन अंसारी के साथ बरामद कर लिया।
आदिल ने अदालत में कहा कि दोनों ने शादी कर ली है और उसने धर्मांतरण कर अपना नाम अतुल शर्मा रख लिया है। युवती के पिता की ओर से अधिवक्ता ललित शर्मा ने अदालत को बताया कि युवती युवक के दबाव में है, ऐसे में उसे अलग किया जाए। इस पर कोर्ट ने उसे कुछ दिन के लिए रुद्रपुर गल्र्स हॉस्टल में भेज दिया। उसके किसी से भी मिलने पर पाबंदी लगा दी।
सोमवार को युवती को कड़ी सुरक्षा में कोर्ट में पेश किया गया। अधिवक्ता ललित शर्मा ने अदालत को बताया कि युवक ने सिर्फ युवती की भावनाओं से खेलने के लिए धर्मांतरण किया है। अदालत में युवती ने मां-बाप के साथ जाने की इच्छा प्रकट की और साथ ही युवक को छोड़ दिया।
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