जेल पुलिस की ताकत बने 183 रिक्रूट
संवाद सूत्र, बैलपड़ाव: मानव अधिकारों का पालन करते हुए कैदियों का उनके अपराध के प्रति नजरिया बदल देना
संवाद सूत्र, बैलपड़ाव: मानव अधिकारों का पालन करते हुए कैदियों का उनके अपराध के प्रति नजरिया बदल देना हर बंदी रक्षक का सर्वोच्च दायित्व है। अपराध नियंत्रण एवं भयमुक्त समाज की स्थापना की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। संकल्प लो कि आप इस कसौटी पर निष्पक्ष व खरे उतरेंगे। इंडिया रिजर्व बटालियन के दीक्षांत समारोह में रिक्रूट बंदी रक्षकों को संबोधित करते हुए पुलिस निरीक्षक कारागार डॉ. पीवीके प्रसाद ने यह बात कही। तीन माह के प्रशिक्षण के उपरांत 183 रिक्रूट बंदी रक्षक शुक्रवार को उत्तराखंड जेल पुलिस की ताकत में शुमार हो गए।
बतौर मुख्य अतिथि डॉ. प्रसाद ने दीक्षांत परेड का निरीक्षण किया। सारे जहां से अच्छा हिंदूस्तान हमारा की बैंड धुन पर मन में नई उमंग व देशभक्ति का जज्बा लिए सशस्त्र रिक्रूटों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। आइजी ने बंदी रक्षकों को पद गोपनीयता, संविधान, कर्तव्य व प्रतिष्ठा की शपथ दिलाई। जवानों को व्यावहारिक जीवन में नमृता व दृढ़ता एवं सही निर्णय लेने की क्षमता का विकास करने का मूलमंत्र भी दिया। सेनानायक केएस नगन्याल ने कहा कि हर चुनौती का सामना करने के लिए रिक्रूटों के दक्षता विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है। आंतरिक व बाह्य कक्ष में विशिष्ट योग्यता अर्जित करने वाले रिक्रूटों को मेडल व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इसके बाद कदम-कदम बढ़ाए जा की बैंड धुन के साथ मन में सेवा, त्याग, बलिदान, कर्तव्य परायणता व परोपकार का लक्ष्य लिए 183 बंदी रक्षक अंतिम पग पारकर नई मंजिल की ओर निकल पड़े। समारोह में जिला पंचायत अध्यक्ष सुमित्रा प्रसाद, रोटरी क्लब अध्यक्ष गोपाल सिंह, सह सेनानायक देवी दत्त चौसाली, राजीव मोहन, प्रतिसार निरीक्षक खुशाल रावत, सूबेदार सेन्य सहायक देव सिंह महरा मौजूद थे। संचालन धर्मेद्र सैनी ने किया।