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शहर के शोर ने बढ़ाया बहरापन

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : शहर की आबोहवा लगातार खराब होती जा रही है। इसी के साथ ध्वनि प्रदूषण भी त

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Apr 2017 01:01 AM (IST)Updated: Thu, 27 Apr 2017 01:01 AM (IST)
शहर के शोर ने बढ़ाया बहरापन
शहर के शोर ने बढ़ाया बहरापन

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : शहर की आबोहवा लगातार खराब होती जा रही है। इसी के साथ ध्वनि प्रदूषण भी तेजी से बढ़ रहा है। यह शोर यानि ध्वनि प्रदूषण तमाम बीमारियों को जन्म दे रहा है। तेजी से बढ़ रहा यह प्रदूषण शहर के लिए गंभीर समस्या बन रहा है, लेकिन इस पर नियंत्रण के लिए तंत्र का ध्यान नहीं है।

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शहर का आवास विकास आवासीय क्षेत्र है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वहां पर ध्वनि प्रदूषण मापने का यंत्र लगाया है। प्रतिमाह रिपोर्टिग होती हैं, लेकिन आंकड़े चौंकाने वाले हैं। सामान्य तौर पर आवासीय क्षेत्र में रात में 45 और दिन में 55 डेसिबल की ध्वनि होनी चाहिए, लेकिन वहां पर ध्वनि का औसत अधिक है। शहर के व्यस्त इलाके तिकोनिया व बीरशिबा स्कूल के पास भी मानक से अधिक ध्वनि प्रदूषण बढ़ गया। लगातार वाहनों की संख्या बढ़ रही है। प्रेशन हॉर्न से लेकर म्यूजिकल हॉर्न की दिक्कत। नारेबाजी व अन्य तरह का शोर मुसीबत बनता जा रहा है। चिकित्सकों के अनुसार यह शोर श्रवण शक्ति कमजोर कर रहा है। इसके बावजूद न ही लोग चेत रहे हैं और न ही जिम्मेदार अधिकारी अनावश्यक हॉर्न बजाने पर अंकुश लगा पा रहे हैं।

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अस्पताल व स्कूलों के पास बजता है प्रेशर हॉर्न

बेस अस्पताल शहर के मध्य में है। इसके निकट ही रोडवेज बस स्टेशन है। इस अस्पताल के बाहर ही बसें खड़ी रहती हैं और अक्सर हॉर्न बजाती हैं। इसकी वजह से अस्पताल में भर्ती मरीज और परेशानी झेलनी को मजबूर हो जाते हैं। जबकि, अस्पताल से 100 मीटर दूर हॉर्न बजाया जाना चाहिए। इसके अलावा एसटीएच का भी यही हाल है। इस क्षेत्र में प्रेशर हॉर्न भी बजते रहते हैं, लेकिन कोई नहीं ध्यान देता। नैनीताल रोड के किनारे स्कूल के बच्चे भी हॉर्न से परेशान रहते हैं।

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ध्वनि प्रदूषण से चिड़चिड़ापन व ब्लड प्रेशर की बीमारी

ध्वनि प्रदूषण का शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता है। ध्वनि प्रदूषण की वजह से बहरापन, चिडचिड़ापन की समस्या, ब्लड प्रेशर बढ़ना आम है। वरिष्ठ ईएनटी रोग विशेषज्ञों के अनुसार, सांस तेज चलना, मधुमेह, हार्ट अटैक, अल्सर, अस्थमा जैसी समस्याएं भी हो जाती हैं। डॉ. पूजा सुयाल का कहना है कि इस तरह के रोगियों की समस्या ओपीडी में लगातार बढ़ रही है।

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नो हॉर्न डे पर आइएमए का संदेश

आइएमए ने 26 अप्रैल को नो हॉर्न डे मनाया। कई डॉक्टरों ने हॉर्न का उपयोग नहीं किया। साथ ही लोगों से भी अनावश्यक हॉर्न नहीं बजाने की अपील की। डॉक्टरों ने कहा, सरकारी नियमों का सख्ती से पालन होना चाहिए। ध्वनि रहित क्षेत्र में हॉर्न का प्रयोग न करें। औद्योगिक प्रतिष्ठानों में कानों में प्लग लगाएं।

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पिछले पांच माह में ध्वनि प्रदूषण की स्थिति

स्थान नवंबर दिसंबर जनवरी फरवरी मार्च

तिकोनिया 61.23 65.79 67.38 68.29 59.4 डीबी

बीरशिबा स्कूल 53.51 51.32 53.47 57.63 56.5 डीबी

आवास विकास 51.52 52.64 51.54 49.36 55.8 डीबी

नैनीताल मल्लीताल 52.73 55.42 57.61 54.92 53.4 डीबी

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यह है ध्वनि का मानक डेसिबल में

जगह रात दिन

साइलेंस जोन 40 50

आवासीय 45 55

कॉमर्शियल 55 65

औद्योगिक क्षेत्र 65 75

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लोगों को जागरूक होना होगा, तभी ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है। हमारा काम ध्वनि प्रदूषण की स्थिति जानना है। इसके बाद हम रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज देते हैं। ध्वनि प्रदूषण फैलाने वालों को दंडित करने का अधिकार जिला प्रशासन के पास है।

डीके जोशी, क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी हल्द्वानी, पीसीबी

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प्रेशन हॉर्न बजाने पर वाहनों का चालान करते हैं। इसके लिए लगातार चेकिंग की जाती है। चेकिंग के दौरान पकड़े जाने पर एक हजार रुपये जुर्माना लगाया जाता है। भविष्य में अनावश्यक हॉर्न नहीं बजाने की भी चेतावनी दी जाती है।

संदीप वर्मा, एआटीओ प्रशासन


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