करोड़ों खपाने के लिए खरीदे जाएंगे महंगे वाहन
अनूप गुप्ता, हल्द्वानी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लान (एसडब्लूएम) के तहत 31 मार्च तक आठ करोड़ की रकम ठ
अनूप गुप्ता, हल्द्वानी
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लान (एसडब्लूएम) के तहत 31 मार्च तक आठ करोड़ की रकम ठिकाने के लिए नगर निगम अब 39 लाख रुपये अतिरिक्त देकर 13 कांपेक्टर वाहनों को खरीदने की तैयारी में है। करीब चार साल से लंबित करोड़ों के इस प्रोजेक्ट को लागू करने में देरी की वजह से निगम पहले ही रिकार्ड तोड़ चुका है और अब इस प्रोजेक्ट की रकम लैप्स होने के डर से महंगे रेट पर ही वाहन खरीदने पर मुहर लगा दी गई है।
हल्द्वानी, नैनीताल व रुद्रपुर के साथ ही छह शहरों का कूड़ा ठिकाने लगाने के लिए एसडब्यूएम में पिछले वर्ष कूड़ा वाहनों की खरीद के टेंडर हुए थे। करोड़ो की इस खरीद के लिए मेयर जोगेंद्र सिंह रौतेला की अध्यक्षता में गठित खरीद टीम ने टेंडर कराए, लेकिन यह प्रक्रिया विवादित हो गई। आयुक्त के निर्देश पर इस मामले की जांच के बाद उन 13 बड़े कूड़ा वाहनों की खरीद के टेंडर भले निरस्त कर दिए गए हो, लेकिन 31 मार्च तक एसडब्यूएम के तहत मिली आठ करोड़ की रकम खर्च करने की जल्दबाजी का नतीजा यह है कि वाहनों की खरीद के लिए गठित टीम में शामिल अधिकारियों ने आंख मूंदकर सरकारी रेट पर ही सही, पहले के मुकाबले 39 लाख रुपये अतिरिक्त देकर कूड़ा वाहनों की खरीद पर हामी भर दी है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि पूर्व में एक कंपनी का टेंडर हुआ था और तब कूड़ा वाहन (कांपेक्टर) के रेट करीब 25 लाख थे, लेकिन अब सरकार से तय रेट के आधार पर प्रत्येक वाहन करीब 28 लाख का पड़ेगा। जाहिर है कि प्रति वाहन तीन लाख रुपये अतिरिक्त देने से 13 वाहनों की खरीद पर सीधे 39 लाख की रकम खर्च होगी।
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वक्त की कमी के आगे भी अफसरों ने टेके घुटने
करीब तीन साल से घिसट रहे 34 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट में मिली 12.95 करोड़ की रकम को इसी वित्तीय साल में खर्च करना है। जबकि इस वर्ष के समाप्त होने में चंद रोज बाकी रह गए हैं। ऐसे में निगम प्रशासन चाहकर भी फिर से टेंडर प्रक्रिया कर वाहनों की खरीद नहीं कर सकता। ऐसे में महंगे ही सही सरकारी रेट पर वाहनों की खरीद मजबूरी बन चुकी है।
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जांच समिति को मिले थे इस्टीमेट से अधिक रेट
वाहनों की खरीद के लिए नगर निगम ने पूर्व में वाहनों की खरीद के लिए अधिकतम रेट की जो घोषणा की थी, टेंडर में वाहनों का क्रय उससे अधिक दाम में दर्शाना पाया गया था। नगर आयुक्त केके मिश्रा के नेतृत्व में बनी जांच समिति ने भी इस बात की तस्दीक की थी। खरीद टीम में शामिल रुद्रपुर की नगर आयुक्त दीप्ति सिंह के भी खरीद पर सवाल खड़े करने से प्रक्रिया विवादित होती चली गई।
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पूर्व में हुए टेंडर अब निरस्त हो चुके हैं। कांपेक्टर के रेट और सरकारी रेट के हिसाब से प्रत्येक वाहन करीब तीन लाख रुपये महंगा है। हालांकि खरीद समिति ने इस पर अंतिम फैसला ले लिया है।
-केके मिश्रा, नगर आयुक्त