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धन के प्रबंधन में लापरवाह बने रहे प्रबंधक

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : नैनीताल दुग्ध संघ लालकुआं में हुए नब्बे लाख रुपये के गबन के मामले में म

By Edited By: Published: Wed, 24 Aug 2016 01:01 AM (IST)Updated: Wed, 24 Aug 2016 01:01 AM (IST)
धन के प्रबंधन में लापरवाह बने रहे प्रबंधक

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : नैनीताल दुग्ध संघ लालकुआं में हुए नब्बे लाख रुपये के गबन के मामले में मुख्य आरोपियों ने भले ही अपना दोष स्वीकार करते हुए पूरी धनराशि संस्था में जमा करवा दी हो, लेकिन लापरवाही के दोषी पाए गए अधिकारियों ने समय पर ध्यान दिया होता तो यह मामला शुरूआत में ही पकड़ में आ जाता, लेकिन तीनों अधिकारी जो पीछे से होता आया उसी कार्यप्रणाली का हिस्सा बन गए। जिसका नतीजा अब इन अधिकारियों को प्रतिकूल प्रविष्ट के रूप में भुगतना पड़ रहा है।

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लालकुआं दुग्ध संघ में वर्ष 2005 से लेकर 2010 तक हुए वित्तीय अनियमितताओं के प्रकरण की जांच के लिए डेयरी विभाग ने चार जांच अधिकारी नामित किए थे। जांच रिपोर्ट में इस अवधि में लालकुआं दुग्ध संघ में महाप्रबंधक के पद पर तैनात रहे तीनों अधिकारियों की गबन में सीधे-सीधे संलिप्तता सामने नहीं आई, लेकिन वर्ष 2005 से लेकर 2010 तक के हिसाब किताब की ऑडिट रिपोर्ट ने अधिकारियों की लापरवाही को उजागर कर दिया। ऑडिट रिपोर्ट में साफ कहा गया कि संस्था ने निरीक्षण पंजिका नहीं बनाई, जबकि निरीक्षण पंजिका बनाकर रखी जानी थी। जिसमें उच्च अधिकारियों की टिप्पणी अंकित होने पर उसका पालन भी किया जाना था। आंतरिक निरीक्षण भी संस्था के अधिकारियों को वर्ष में एक बार संपन्न करना, लेकिन निरीक्षण नहीं किया गया। जांच अधिकारियों ने लापरवाही के दोषी पाए गए महाप्रबंधकों के इस तर्क को खारिज कर दिया कि संस्था में दक्ष कार्मिकों का नितांत अभाव था। इन परिस्थितियों में संस्था में उपलब्ध श्रमिक शक्ति से ही विभिन्न अनुभागों के कार्यों का संचालन किया जाता रहा। प्रकरण की सुनवाई के दौरान भी अधिकारी अपने बचाव में अधीनस्थों को दोषी बताते हुए स्वयं को दोषमुक्त करने का तर्क देते रहे, लेकिन विभागीय नियमों के आगे दोषी अधिकारियों के सभी तर्क नाकाम साबित हुए। अलबत्ता दुग्ध संघ में प्रबंधक के लिए निर्धारित वित्तीय मामलों व दायित्वों के निर्वहन में बरती गई लापरवाही इन अधिकारियों के कैरियर पर एक दाग लगा गई।


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