लापरवाही ने छीना राष्ट्रीय पुरस्कार का मौका
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : राष्ट्रीय खेल पुरस्कार हासिल करना हर खिलाड़ी और कोच का सपना होता है। इसक
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : राष्ट्रीय खेल पुरस्कार हासिल करना हर खिलाड़ी और कोच का सपना होता है। इसके लिए हर साल आवेदन प्रक्रिया शुरू होने का खिलाड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं। इस बार भी आवेदन पत्र जारी किए थे। प्रदेश के दस खिलाड़ियों व कोचों ने आवेदन भी किए, मगर खेल विभाग और डाक विभाग की लापरवाही ने न सिर्फ खिलाड़ियों और कोचों का सपना तोड़ दिया, बल्कि प्रदेश को राष्ट्रीय पुरस्कारों की दौड़ से बिन दौड़े ही बाहर भी कर दिया।
एक तरफ 2018 में राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के दावे किए जा रहे हैं। ओलंपिक में प्रदेश के चार खिलाड़ी हिस्सा लेने पर गर्व कर रहे हैं, वहीं दूसरी और खेल विभाग की लापरवाही ने प्रदेश से राष्ट्रीय पुरस्कार का मौका छीन लिया। मार्च में राजीव गांधी खेल रत्न, मेजर ध्यानचंद, द्रोणाचार्य, अर्जुन और खेल रत्न पुरस्कार के लिए केंद्रीय खेल एवं युवा कल्याण मंत्रालय ने आवेदन फार्म जारी किए थे। 30 अप्रैल फार्म को दिल्ली स्थित कार्यालय पहुंचने थे। योग्य खिलाड़ियों और कोचों ने इनके लिए समय से आवेदन कर दिया था। स्पीड पोस्ट से फार्म देहरादून कार्यालय को भी भेज दिए थे। खेल विभाग का दावा है कि कार्यालय को 25 अप्रैल को डाक मिली। उसे 27 अप्रैल को स्पीड पोस्ट से दिल्ली कार्यालय के लिए पोस्ट किया गया, लेकिन डाक विभाग की स्पीड पोस्ट की चाल इतनी धीमी थी कि दो माह बाद दिल्ली कार्यालय पहुंची। स्पीड पोस्ट की सुस्त चाल ने पुरस्कारों के लिए आवेदन करने वाले खिलाड़ियों के सपने तोड़े ही, प्रदेश को मिलने वाला गौरव भी छीन लिया। राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों के लिए प्रदेश से 10 खिलाड़ी और कोचों ने आवेदन किया था।
खेल विभाग को डाक 25 अप्रैल को मिली थी। 27 को उसे दिल्ली के लिए पोस्ट कर दिया गया। वहां डाक देरी से कैसे पहुंची इसकी पड़ताल की जा रही है। विभाग की कोई गलती नहीं है। पूरा मामला जांच का विषय है।
-अजय अग्रवाल, उप निदेशक खेल