गणित के साथ ¨हदी में भी ठिठका ज्ञान
किशोर जोशी, नैनीताल : आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। इस नीति की वजह
किशोर जोशी, नैनीताल : आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। इस नीति की वजह से प्राथमिक शिक्षक अध्यापन को लेकर तो अभिभावक भी पाल्यों की पढ़ाई को लेकर बेपरवाह हो गए हैं। इसी का नतीजा है कि शासकीय-अशासकीय विद्यालयों में माध्यमिक कक्षाओं में अध्ययनरत बच्चों का बौद्धिक स्तर गणित, अंग्रेजी, विज्ञान जैसे कठिन विषयों के साथ ही ¨हदी में भी औसत से कम हो रहा है।
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत 18, 19 व 20 मई को जिले के 211 शासकीय-अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत कक्षा नौ के छात्रों की बौद्धिक क्षमता के परीक्षण के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी। जिसका परिणाम घोषित कर दिया गया है। ¨हदी की परीक्षा में 10512, अंग्रेजी में 7889, विज्ञान में 10512 तथा गणित में 5876 छात्र-छात्राएं बैठे। परिणामों के अनुसार ¨हदी में 55 फीसद, अंग्रेजी में 48 फीसद, विज्ञान में 49 व गणित में सिर्फ 34 फीसद छात्रों का बौद्धिक स्तर औसत दर्ज में आ सका, जबकि शेष छात्रों का बौद्धिक स्तर न्यूनतम पाया गया। एसएसए जिला समन्वयक पीसी तिवारी के अनुसार अभियान के अंतर्गत बौद्धिक स्तर कम वाले छात्रों के लिए 29 दिन तक विशेष पढ़ाई की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए राज्य स्तर से आउटसोर्सिग शिक्षकों की तैनाती होगी।
22 विद्यालयों में चलेंगे व्यावसायिक ट्रेड
नैनीताल : जिले के 16 मॉडल स्कूल समेत कुल 22 इंटर कॉलेजों में रमसा के अंतर्गत छात्र-छात्राओं को आटोमोबाइल, टूरिज्म एंड पेसेंट केयर, रिटेल कारोबार ट्रेड का संचालन किया जाएगा। इसके अलावा छात्राओं को आर्ट क्राफ्ट, कैंडिल बनाने के अलावा आत्मरक्षा के गुर भी सिखाए जाएंगे। जिला समन्वयक पीसी तिवारी इसके लिए 268 लाख रुपये की रकम मंजूर हो चुकी है। चयनित विद्यालयों में लैब बनाने के लिए दस लाख खर्च होंगे। विद्यालयों में जीआइसी कोटाबाग, डोन परेवा, जीआइसी धानाचूली, रामगढ़, खैरना, दौलतपुर, पतलोट व नाई, पाटकोट व करनपुर, पटवाडांगर, लालकुआं, सुंदरखाल, बेतालघाट, ओखलकांडा, नथुवाखान, जीजीआइसी नैनीताल, कोटाबाग, रामनगर, धौलाखेड़ा, लामाचौड़ शामिल है।
इनसेट-
कमजोर बच्चों का बौद्धिक स्तर बढ़ाने के लिए उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था की जा रही है। प्राथमिक शिक्षा की बदहाली के लिए सिर्फ शिक्षकों को दोष नहीं दिया जा सकता, अभिभावक व बच्चे भी दोषी हैं। अध्यापन से जी चुराने वाले शिक्षकों को भी चिह्नित किया जा रहा है। इस साल शैक्षिक गुणवत्ता वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। शिक्षकों का तमाम स्तरों पर मूल्यांकन होगा।
-रघुनाथ लाल आर्य, मुख्य शिक्षा अधिकारी, नैनीताल।