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सरकारी दफ्तरों ने दिया बिजली बचत को झटका

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : ऊर्जा प्रदेश को बिजली संकट से उबारने की मुहिम को अपनों ने ही झटका दिया

By Edited By: Published: Sun, 01 May 2016 01:01 AM (IST)Updated: Sun, 01 May 2016 01:01 AM (IST)
सरकारी दफ्तरों ने दिया बिजली बचत को झटका

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : ऊर्जा प्रदेश को बिजली संकट से उबारने की मुहिम को अपनों ने ही झटका दिया है। पिछले वर्ष अक्टूबर-नवंबर में सरकारी दफ्तरों में बिजली की ज्यादा खपत पर अंकुश लगाने के लिए सौर ऊर्जा प्लांट से लैस करने की तैयारी की गई थी। उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) ने सीडीओ के जरिये विभागों के मुखिया को इस बावत फरमान भी जारी कराए, लेकिन किसी दफ्तर की ओर से सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए प्रस्ताव ही नहीं आए। अब केंद्र सरकार ने भी इस पर दी जानी वाली 70 फीसद सब्सिडी को वापस ले लिया है और सोलर पावर के जरिये परंपरागत बिजली को बचाने की मुहिम को जबरदस्त झटका लगा है।

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उत्पादन में बिजली की मांग और खपत में लगातार इजाफे से ऊर्जा प्रदेश बिजली का जबरदस्त संकट झेल रहा है। इस संकट से उबरने के लिए उरेडा ने 2015 में ग्रिड इंटरेक्ट सोलर प्लांट प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। इसके जरिये कोशिश यह की गई कि सरकारी दफ्तरों में उनकी जरूरत के हिसाब से सोलर पैनल लगाए जाएं, ताकि परंपरागत बिजली खपत को कम करने के साथ ही बिल के बोझ को भी हल्का किया जा सके। खास बात यह थी कि पैनल लगाने के लिए सरकार की ओर से 70 फीसद सब्सिडी दी जानी थी। विभाग को केवल 30 प्रतिशत रकम ही खर्च करनी थी, लेकिन सरकारी विभागों की बिजली बचत को लेकर उदासीनता का नतीजा रहा कि उरेडा के पास इस प्रोजेक्ट के लिए एक भी प्रस्ताव नहीं आए।

नगर निगम ने भी खड़े किए हाथ

हल्द्वानी : करोड़ों रुपये के बिजली बिल के बोझ तले दबे नगर निगम ने भी सौर ऊर्जा का विकल्प लेने से हाथ खड़े कर दिए हैं। शुरुआत में मेयर डॉ. जोगेंद्र सिंह रौतेला ने सोलर पैनल के लिए प्रस्ताव भी रखा था लेकिन बाद में बाद में 30 फीसद रकम वहन करने में असमर्थता जता दी गई।

बीएसएनएल ने जगह न होने का दिया तर्क

हल्द्वानी : पर्वतीय इलाकों में मोबाइल टावर को सौर ऊर्जा पैनल से लैस करने के लिए कवायद शुरू की गई थी। बीएसएनएल के जीएम गणेश चंद्रा ने दर्जनभर बीटीएस को चिह्नित भी किया लेकिन बाद में निगम ने पैनल लगाने के लिए जगह उपलब्ध न होने का तर्क देते हुए हाथ खींच लिए।

सरकारी दफ्तरों से सोलर पैनल लगाने के लिए एक भी प्रस्ताव नहीं मिले थे। अब तो सरकार ने सब्सिडी खत्म करने के साथ स्कीम भी बंद कर दी है। इससे बिजली बचत की बड़ी कवायद को झटका लगा है।

=संदीप भट्ट, जिला परियोजना अधिकारी, उरेडा


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