आइआइटी के निष्कासित छात्रों को झटका
जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट की खंडपीठ ने आइआइटी रुड़की के छात्रों के निष्कासन को सही ठहराते
जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट की खंडपीठ ने आइआइटी रुड़की के छात्रों के निष्कासन को सही ठहराते हुए एकलपीठ के आदेश को बरकरार रखा है। कोर्ट ने छात्रों की ओर से की गई विशेष अपील को खारिज कर दिया। आइआइटी रुड़की के छात्र विवेक मीणा व अन्य की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि आइआइटी ने 15 जून 2015 को एक आदेश जारी कर 72 छात्रों को कॉलेज से निष्कासित कर दिया। छात्रों ने संस्थान के इस आदेश को हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी।
उनका कहना था कि रेग्यूलेशन के पैरा-33 के अनुसार सिर्फ उन्हीं छात्रों को निकाला जा सकता है, जो प्रथम वर्ष के अंत में निर्धारित अर्न क्रेडिट एवं सीजीपीए लाने में असफल होते हैं। याचीगणों का कहना था कि उनका अर्न क्रेडिट निर्धारित सीमा में है, इसलिए उनका पंजीकरण निरस्त नहीं किया जा सकता। जबकि आइआइटी रुड़की के अधिवक्ता द्वारा दलील दी गई कि जो विद्यार्थी निर्धारित अर्न क्रेडिट व सीजीपीए लाता है, उसी को प्रवेश दिया जाएगा। पूर्व में कोर्ट ने निर्धारित सीजीपीए वाले दो छात्रों के बारे में एक सप्ताह में निर्णय लेने का आदेश आइआइटी को दिया था। शेष याचिकाओं को खारिज कर दिया था। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोजफ व न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की खंडपीठ ने विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए साफ किया कि संस्थान को अपने अकादमिक पंजीकरण को बरकरार रखने के लिए 22 अर्न प्वाइंटर व पांच सीजीपीए अनिवार्य हैं। खंडपीठ ने इस आधार पर आइआइटी की दलील स्वीकारते हुए छात्रों की विशेष अपील खारिज कर दी। कोर्ट के आदेश से निष्कासित छात्रों को बड़ा झटका लगा है।