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कातिल तक ले जाएगी कत्ल की राह

जागरण संवाददाता, नैनीताल : कातिल और कानून के बीच का फासला बहुत दूर नहीं है जो राह दीपा की जिंदगी के

By Edited By: Published: Sun, 05 Jul 2015 10:26 AM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2015 10:26 AM (IST)
कातिल तक ले जाएगी कत्ल की राह

जागरण संवाददाता, नैनीताल : कातिल और कानून के बीच का फासला बहुत दूर नहीं है जो राह दीपा की जिंदगी के लिए अंतिम सफर बनी, अब वही राह पुलिस के हाथ हत्यारे के गिरेहबान तक लेकर जाएगी। क्योंकि शरीफी का लिबास ओढ़े खूनी भी आसपास ही हैं और कत्ल की तफ्तीश तीन दिन से सिर्फ भीमताल के इर्द-गिर्द घूम रही है। मतलब साफ है कि हत्या को नया मोड़ देने के लिए जिन तीन बाहरी संदिग्धों को षड्यंत्र का हिस्सा बनाया गया था, उसे अब तक की जांच के बाद पुलिस ने सिरे से नकार दिया है और पूरा फोकस भीमताल के उस रास्ते पर है, जहां से खून करने के बाद हत्यारा हवा की तरह गायब हो गया।

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पैदल रास्ता भीमताल की मुख्य सड़क से शुरू होता है और बैराजाला गांव पहुंचते ही खत्म। हरिनगर होते हुए बैराजाला पहुंचने के लिए सड़क मार्ग भी है। गाड़ी से गांव तक के सफर में पौन घंटा लगता है, लेकिन पैदल रास्ते से आधे घंटे में दूरी तय हो जाती है। चाहे चढ़ाई हो या ढलान। दो जुलाई को दीपा ने आने-जाने के लिए पैदल रास्ता चुना था, जिस जगह को कातिल ने कत्ल के लिए सबसे बेहतर समझा, वहां से गांव और भीमताल की दूरी डेढ़-डेढ़ किमी बैठती है। यानी मटखाणी (घटनास्थल) से गांव जाने और भीमताल आने में 15-15 मिनट लगते हैं। खून करने के बाद इस पैदल रास्ते में संदिग्धों की अफवाह उड़ाने को भी पुलिस षड्यंत्र का हिस्सा मान रही है। हत्या के लिए भी वह दिन चुना गया जब गांव के सभी लोग मंदिर में चल रही गोकथा में व्यस्त थे। मतलब कातिल यह जानता था कि कम से कम उस दिन इस रास्ते पर शाम के वक्त कोई नहीं आएगा। क्योंकि गांव के लगभग सभी लोग पूजा-पाठ में हाथ बंटाने में लगे थे।

दीपा बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखा से अपनी साथी कार्यकत्रियों के साथ दोपहर ढाई बजे निकलकर अपने जेठ चारू चंद्र जोशी की दुकान में बैठती है। सुस्ताती है, चाय-पानी पीती है और उसकी इस गतिविधि के साथ गांव के लिए मूवमेंट पर भी कातिल निगाह रखता है। क्योंकि सवा तीन बजे जब दीपा दुकान से गांव के लिए रवाना हुई तो हत्यारा कत्ल के लिए तैयार हो चुका था और दीपा की नजरों से बचकर उसने पहला वार पीछे से उसके सिर पर किया। इस पैदल रास्ते परबैराजाला गांव के लोग ज्यादा आवाजाही करते हैं। क्योंकि उनके लिए जल्दी गांव पहुंचने के लिए दूसरा विकल्प भी नहीं है और न ही रास्ते से कोई दूसरा पथ निकलता है। इन सारी कड़ियों को आपस में जोड़कर पुलिस का जो निष्कर्ष निकलता है, उसके बाद जांच टीम की आंखें भीमताल से बैराजाला के बीच कातिल को तलाश रही है। क्योंकि पुलिस को पूरा विश्वास है कि कत्ल करने वाला न तो बाहर का था न कहीं भागा है। बस उसके चेहरे से नकाब उतारने के लिए हर एंगल से सबूत जुटाए जा रहे हैं।

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दीपा के दिल में क्या था राज?

ऐसा कौन सा राज था जो दीपा के कत्ल की वजह बना? पुलिस की जांच का एक पहलू यह सवाल भी है। दीपा के अपनों से बात करने के बाद पुलिस को पता चला है कि वह कभी भी मन की बात किसी को बताती नहीं थी, लेकिन हत्या के पीछे इस सवाल को कारण मानने का तर्क इसलिए है, क्योंकि रंजिश, लूट के इरादे, दुष्कर्म के प्रयास या दुष्कर्म की नियत से दीपा को नहीं मारा गया था। न ही परिवार में किसी प्रकार का तनाव था। इसीलिए उसके खून का प्यासा होने का कारण किसी ऐसे राज को भी माना रहा है, जिसके सामने आने पर हत्यारे को नुकसान हो सकता था।

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काफी शातिर है कातिल

शक किसी एक पर नहीं, कइयों पर है। चाहे अपने हों, गांव के या फिर आसपास के। दीपा का हत्यारा कितना शातिर और पहले से तैयार था, इसका अंदाजा कत्ल को दुष्कर्म की तरफ मोड़ने के प्रयास से लगाया जा सकता है, लेकिन इस चाल में पोस्टमार्टम की प्रारंभिक रिपोर्ट के बाद कातिल फेल हो गया। रास्ते से उसकी लाश को खाई में फेंकने के साथ पूरे इत्मीनान से उसके सामान को भी शव के इर्द-गिर्द रखा गया। ताकि जांच की पहली राह ही भटक जाए।

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अलग-अलग बिंदुओं पर जांच

दीपा हत्याकांड की जांच में लालकुआं इंस्पेक्टर वीसी पंत, भवाली के एचसी पंडा, एसओ भीमताल नित्यानंद पंत, काठगोदाम नरेश चौहान, चोरगलिया केआर पांडे, ज्योलीकोट चौकी प्रभारी सतीश चंद्र कापड़ी के साथ एसओजी टीम लगाई गई है। पुलिस टीम अलग-अलग बिंदुओं पर पड़ताल में लगी है।

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पुलिस और एसओजी हर एंगल से जांच में लगी है। केस को वर्कआउट करने के लिए साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। जांच का केंद्र भीमताल के साथ आसपास का एरिया है। जनता से सहयोग चाहते हैं। उम्मीद है जल्द हत्यारा पुलिस की गिरफ्त में होगा।

- सैंथिल अबुदई, एसएसपी, नैनीताल

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शक के आधार पर पुलिस कई लोगों से पूछताछ कर चुकी है। कातिल को दीपा की हर गतिविधि पता थी। इसीलिए वह दीपा के गांव के लिए रवाना होने का इंतजार करता रहा। केस की कडि़यों को जोड़कर कातिल तक पहुंचने के लिए पूरा जोर लगाया गया है।

-नित्यानंद पंत, एसओ, भीमताल


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