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जमीनी स्तर पर हो रही ओजोन में मामूली वृद्घि

जागरण संवाददाता, नैनीताल : धरती का सुरक्षा कवच ओजोन परत भारतीय क्षेत्र में सामान्य रूप से बनी हुई है

By Edited By: Published: Fri, 22 May 2015 01:21 PM (IST)Updated: Fri, 22 May 2015 01:21 PM (IST)
जमीनी स्तर पर हो रही ओजोन में मामूली वृद्घि

जागरण संवाददाता, नैनीताल : धरती का सुरक्षा कवच ओजोन परत भारतीय क्षेत्र में सामान्य रूप से बनी हुई है। परंतु जमीनी स्तर पर इसक मात्रा में मामूली रूप से वृद्धि दर्ज की जा रही है। जमीनी स्तर पर इसका लगातार बढ़ना स्वास्थ्य व वनस्पति के लिहाज से ठीक नही है। अलबत्ता इस वृद्धि पर नियंत्रण पाने के लिए वैज्ञानिक जागरूक होने पर जोर दे रहे हैं।

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धरती पर जितना महत्व पानी व भोजन का है उतना ही जीवन रक्षा के लिए ओजोन का भी है। जिस कारण दुनियाभर के वैज्ञानिक इसकी मात्रा के घटने-बढ़ने पर पैनी नजर रखते हैं। पिछले करीब 14 वर्षो के अंतराल में आसमानी स्तर पर इसकी मात्रा औसतन सामान्य बनी हुई है। जानकारों के मुताबिक ओजोन की औसतन मात्रा 250 से 300 डाब्सन यूनिट के बीच होनी चाहिए, जो बरकरार है। यह ओजोन लेयर 18 किमी. की ऊंचाई पर होती है। इसकी मात्रा का आब्जर्वेशन 24 से 28 किमी. के बीच किया जाता है। आंकलन के लिए ऊंचाई का यह पैमाना सटीक होता है।

ज्ञातव्य हो पिछली सदी के अंत में हमारे धु्रवों पर ओजोन लेयर में भारी कमी आ गई थी। यह घटकर 50 से 100 डीयू के बीच जा पहुंची थी, जो सामान्य की तुलना में बहुत कम हो चुकी थी। कार्बनडाइ ऑक्साइड जैसी कार्बनिक गैसें ओजोन क ो क्षति पहुंचाते हैं। आसमानी स्तर पर ओजोन को लेकर चिंता की कोई बात नही है लेकिन धरातल पर इसकी मात्रा में कभी-कभी वृद्धि हो रही है। यह बढ़ोतरी सीमित समय के लिए होती है। फिर सामान्य हो जाती है। जमीनी स्तर पर इसका आब्जर्वेशन सतह से दो-तीन मीटर की ऊंचाई पर किया जाता है। औसतन इसकी मात्रा 30 से 50 पार्ट्स पर बिलियन होनी चाहिए। परंतु यह बढकर 80 पीपीबी तक पहुंचने लगी है। इससे अधिक वृद्धि नुकसानदायक होगी। वृद्धि की यह दर चंद क्षणों के लिए होती है। परंतु बार-बार की बढ़ोतरी को वैज्ञानिक ठीक नही मानते।

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ओजोन पर नियंत्रण के जागरूकता जरूरी

नैनीताल : आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान एवं शोध संस्थान के वायुमंडलीय वैज्ञानिक डॉ. मनीष नाजा क हते हैं कि धरातलीय ओजोन की मात्रा पर नियंत्रण पाने के लिए जागरूकता जरूरी है। कुछ स्थानों पर मारूली रूप से ओजोन की मात्रा में वृद्धि देखने को मिलती है। एरीज में बैलून विधि के जरिए ओजोन की मात्रा का पता लगाया जाता है। धरातलीय स्तर पर भी समय-समय पर आब्जर्वेशन किया जाता है।


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