रूसी गांव में फटा सीवर का टैंक
नैनीताल : रूसी गांव के ठीक नीचे बना सीवर से लबालब टैंक सोमवार को फट गया। टैंक की अथाह गंदगी का तेज
नैनीताल : रूसी गांव के ठीक नीचे बना सीवर से लबालब टैंक सोमवार को फट गया। टैंक की अथाह गंदगी का तेज बहाव देख सीवर निकासी के लिए नाला बना रहे मजदूरों ने भागकर जान बचाई। गंदगी प्राकृतिक जलस्रोतों तक पहुंचने से सोलिया और जमीरा गांव की करीब 500 की आबादी के सामने पानी का संकट पैदा हो गया है। ग्रामीणों ने टैंक निर्माण में घपले का आरोप लगाते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
नैनीताल के हजारों घरों से निकलने वाला सीवर रूसी गांव होते हुए निहाल नदी में मिलता है। तीन साल पहले जेएनएनयूआरएम के तहत जल निगम ने गांव के नीचे टैंक बनवाया, लेकिन इसकी कभी सफाई नहीं की। सीवर की निकासी नहीं होने से पिछले छह महीने से गंदगी का भभका गांव के लिए नरक बन गया था। 16 अप्रैल को जागरण ने इस समस्या को प्रमुखता से उठाया तो तब विभाग के अधिकारी गांव उतरे। सीवर की निकासी के लिए नाला बनाया जा रहा था। ग्रामीणों ने प्राकृतिक जलस्रोत की ओर सीवर निकासी का विरोध किया तो जल निगम ने दूसरे क्षेत्र में नाला बनाना शुरू किया। सोमवार दोपहर 12.30 एकाएक करीब चार लाख लीटर से अधिक का तीन चेंबरों वाला टैंक फट गया। सात नेपाली मजदूरों ने बमुश्किल भागकर जान बचाई। टैंक फटने से पूरा इलाका गंदगी से बजबजा उठा। ग्रामीणों ने इसकी सूचना तत्काल ग्राम प्रधान हिमांशु पांडे को दी। प्रधान की सूचना पर जल निगम के एई पीसी जोशी, जेई विवेक भट्ट, सुपरवाइजर कुंदन सिंह गांव पहुंचे और टैंक के साथ ही प्राकृतिक जलस्रोतों का जायजा लिया। गांव के तीन तोक हैं, वल्ला रूसी, पल्ला रूसी व धार वाली रूसी। इस घटना के बाद पूरी बदबू गांवों में फैली है। लोग परेशान हैं। जिन प्राकृतिक स्रोतों तक गंदगी पहुंची है, वहां के लोगों के सामने पीने का पानी जुटाने का संकट पैदा हो गया है।
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बेतुका बयान
पिछले दिनों आए भूकंप से कच्ची मिट्टी वाली जमीन हिल गई और टैंक की चिनाई, आरसीसी के बीच क्रैक आ गया था। इस वजह से टैंक फटा है। गंदगी जलस्रोतों तक नहीं पहुंची है। एहतियातन ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कर दिया गया है।
-पीसी जोशी, एई जलनिगम।
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सवालों के घेरे में जलनिगम
नैनीताल : सीवर टैंक फटने के बाद निर्माण की गुणवत्ता सवालों के घेरे में है। जलनिगम के एई यह बयान देते हैं कि भूकंप आने से टैंक की नींव हिली, लेकिन इस बात को सार्वजनिक नहीं किया गया। सवाल यह भी कि अगर टैंक में दरार थी तो फिर इंजीनियरों ने पहले उसकी सुरक्षा के लिए कदम क्यों नहीं उठाए। भूकंप नेपाल में था और उससे कुमाऊं की धरती भी कांपी थी, लेकिन तब टैंक की दरार का कहीं जिक्र नहीं हुआ। अब जब गुणवत्ता की खामी सामने आई है तो विभागीय अधिकारियों को बचाव का रास्ता भूकंप दिखा है। बड़ी बात यह है कि निर्माण पूरा होने के बाद टैंक में बगैर जांच के सीवर भरना शुरू किया गया है। लाखों रुपये खर्चने के बाद तीन साल भी टैंक का न टिक पाना घपले की बू छोड़ रहा है।
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कहते हैं गांव के लोग
नैनीताल : सीवर टैंक फटने से ग्रामीण गुस्से में हैं। ग्रामीण किशन गिरी, तरुण बिष्ट, नीरज गैलाकोटी, सुनील मेहरा, जीवन गैलाकोटी, विजय बिष्ट, अंबादत्त जोशी, बलदेव गैलाकोटी, पूरन गैलाकोटी का कहना है कि टैंक की गुणवत्ता को लेकर इंजीनियरों को चेताया भी था, लेकिन किसी ने उनकी बातों को नहीं सुना। कहा कि अंग्रेजी दौर से ही नाले से सीवर की गंदगी जाती थी। ग्रामीणों ने गंदे पानी को फिल्टर कर सिंचाई योग्य बनाने की की मांग को लेकर टैंक बनाने का सुझाव दिया था, पर विभाग ने ऐसा करने के बजाय खुला टैंक बना दिया और निकासी लाइन प्राकृतिक जलस्रोतों की तरफ बना दी। उन्होंने कहा कि सीवर की गंदगी से पैदा हो रहे मच्छरों को भगाने के लिए लोगों को घरों में पंखे लगाने पड़ रहे हैं। सड़ांध से गांव परेशान रहता है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि दूसरा टैंक भी फटा तो उनके घरों को नुकसान पहुंचना तय है।
4 एनटीएल 32--- परिचय-रूसी गांव में भरभराकर टूटा सीवर टैंक।
4 एनटीएल 33--- सीवर टैंक फटने के दौरान आपबीती बताते नेपाली मजूदूर।
4 एनटीएल 34--- सीवर टैंक फटने के बाद प्राकृतिक जलस्रोतों की ओर बहती गंदगी।
4 एनटीएल 35--- सीवर टैंक से उत्पन्न हालातों के बारे में बताते ग्रामीण।