तीन सौ और डंपरों को परिमट!
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : खेल स्टेडियम को करीब 33 हजार घनमीटर उपखनिज मुहैय्या कराने की आड़ में खनन
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : खेल स्टेडियम को करीब 33 हजार घनमीटर उपखनिज मुहैय्या कराने की आड़ में खनन वाहनों में करीब तीन सौ गाड़ियों के नए काफिले को शामिल करने की गुपचुप तैयारी शुरू हो गई है। हालांकि वन निगम का कहना है कि इन गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन इस चुगान तक ही रहेंगे, लेकिन इसे लेकर अब तक लिखित समझौते की बात सामने नहीं आई है। बाद में वाहनों के पंजीयन को निरस्त करना भी वन विभाग के लिए कड़ी चुनौती साबित होगी।
खेल स्टेडियम के निर्माण का ठेका लेने वाली कंपनी ने किसी स्टोन क्रशर से खरीद न करके शासन से सीधे यह आदेश करा लिया है कि गोला नदी से करीब 33 घनमीटर का खनन कराकर वह उसे अपने पसंदीदा स्टोन क्रशर से निर्माण सामग्री तैयार कराएगी। अपनी शर्तो पर काम कर रही इस निजी संस्था की मांग को पूरा करने के लिए वन विभाग और वन निगम के अधिकारी लगे हुए हैं। कंपनी की सहूलियत के लिए फिक्रमंद वन अफसर शीशमहल और राजपुरा के बीच एक नए गेट को भी बना रहे हैं। आपूर्ति संस्था ने हाल ही में वन विकास निगम के साथ एग्रीमेंट की प्रक्रिया शुरू कर दी। इसे मंजूरी दिलाने के लिए निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक एमपीएस रावत ने प्रबंध निदेशक के पास पत्रावली भी भेज दी है। इधर, इस कार्रवाई की आड़ में करीब तीन सौ वाहनों को खनन गाड़ियों के साथ शामिल करने की भीतरखाने तैयार चल रही है। वन निगम इसके लिए पहले से पंजीकृत खनन वाहनों को दरकिनार कर कार्यदायी संस्था की गाड़ियों के ही वाहनों का नया पंजीकरण करेगा। वैसे वन निगम बार-बार यही चिल्ला रहा है कि इन वाहनों का पंजीकरण सिर्फ 33 हजार घनमीटर उपखनिज चुगान तक के लिए ही होगा। जबकि किसी लिखित समझौते को लेकर निगम के पास अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं है। दिक्कत यह भी आएगी कि एक बार वन निगम से पंजीकरण लेने वाले वाहनों को बाहर का रास्ता दिखाना भी आसान नहीं होगा। इसके लिए नेताओं से लेकर दिग्गजों तक के दबाव को कैसे झेलेंगे, इसे लेकर वन निगम के अफसर अभी से ही हलकान दिखाई दे रहे हैं।
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==वर्जन:::::
खेल स्टेडियम के निर्माण का ठेका लेने वाली कंपनी के वाहनों का पंजीकरण करना है। इसमें पूर्व में रजिस्टर्ड वाहनों को शामिल नहीं किया जा रहा है। 33 हजार घनमीटर तक के लिए ही नए वाहनों के पंजीयन वैध होंगे।
एमपीएस रावत
क्षेत्रीय प्रबंधक, वन निगम