अवैध खनन के खिलाफ स्वामी शिवानंद ने त्यागा जल
गंगा में खनन के खिलाफ मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती की तपस्या और भी उग्र हो गई। उन्होंने तपस्या के तीसरे दिन जल भी त्याग दिया। इससे पहले वह अन्न भी त्याग चुके हैं।
हरिद्वार, [जेएनएन]: गंगा में खनन के खिलाफ मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती की तपस्या और भी उग्र हो गई। उन्होंने तपस्या के तीसरे दिन जल भी त्याग दिया।
स्वामी शिवानंद सरस्वती तपस्या के पहले दिन से ही अन्न त्यागे हुए हैं। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार गंगा में खनन के खिलाफ आदेश जारी नहीं करती और दोषी अधिकारियों वह खनन माफियाओं पर कारवाई नहीं करती, तब तक वह अपना अनशन यानी तपस्या जारी रखेंगे।
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाया तो वह अन्न जल की तरह अपने प्राण भी त्याग देंगे। गौरतलब है कि इससे पहले मातृसदन के ब्रह्मचारी और स्वामी शिवानंद के शिष्य ब्रहमचारी आत्मा बोधानंद ने किसी मामले को लेकर 14 दिन की तपस्या की थी।
इसके बाद स्वामी शिवानंद खुद इस मामले को लेकर तपस्या करने लगे हैं। मातृसदन इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट और एमनेस्टी इंटरनेशनल भी जा चुका है। मातृ सदन का कहना है कि राज्य सरकार पर्यावरण और नदी जल संरक्षण के मानकों की अनदेखी कर गंगा में खनन की अनुमति दे रही है। उन्होंने इसे हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना भी बताया।
मनाने को पहुंचे एसडीएम
मातृसदन परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती से एसडीएम सदर मनीष कुमार सिंह मुलाकात कर तप और अनशन समाप्त कर अन्न जल ग्रहण करने का आग्रह किया। इस पर मातृसदन परमाध्यक्ष ने गंगा में पूर्ण से खनन बंद करने की मांग दोहराई। साथ ही उन्होंने खनन को बढ़ावा देने वाले अधिकारियों मुख्य सचिव एस रामास्वामी, औद्योगिक सचिव शैलेष बगोली, खनन निदेशक विनय शंकर पांडे जिला लांगिग अधिकारी आईपीएस रावत, एस ओ शयामपुर को निलंबित करने तक तप जारी रखने की बात कही। वहीं, मातृसदन परमाध्यक्ष ने शनिवार से मौन धारण करने का भी एलान कर दिया।
यह भी पढ़ें: स्वामी शिवानंद ने खनन के बहाने पीएम पर साधा निशाना
यह भी पढ़ें: गंगा और यमुना के जल का दस फीसद ही सिंचाई में उपयोग होः स्वामी शिवानंद
यह भी पढ़ें: गंगा में खनन का अभिशाप लगा हरीश रावत कोः स्वामी शिवानंद