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भूकंप के आने से पहले ही चलेगा पता, सायरन की आवाज करेगी सतर्क

अब भूकंप के आने से पहले ही लोगों को सचेत कर लिया जाएगा। आइआइटी रुड़की एक ऐसी आवाज ढूंढ रहा है, जो पूरे प्रदेश को सचेत कर सकें।

By raksha.panthariEdited By: Published: Wed, 20 Sep 2017 01:38 PM (IST)Updated: Wed, 20 Sep 2017 09:13 PM (IST)
भूकंप के आने से पहले ही चलेगा पता, सायरन की आवाज करेगी सतर्क
भूकंप के आने से पहले ही चलेगा पता, सायरन की आवाज करेगी सतर्क

रुड़की, [रीना डंडरियाल]: भूकंप से पूर्व चेतावनी के लिए आइआइटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) रुड़की के भूकंप अभियांत्रिकी विभाग की ओर से ऐसी आवाज खोजी जा रही है, जिसकी गूंज से लोगों को तत्काल भूकंप आने का पता लग जाएगा। इसके तहत देहरादून व हल्द्वानी में अर्ली वार्निंग सिस्टम के तहत जो सायरन लगाए जाएंगे, उनमें इस विशेष आवाज का इस्तेमाल होगा। आइआइटी की ओर से देहरादून व हल्द्वानी में भूकंप की चेतावनी के लिए सौ से 110 सायरन लगाए जाएंगे। जबकि, अर्ली वार्निंग सिस्टम के तहत कुमाऊं क्षेत्र में सेंसर लगेंगे। उत्तराखंड सरकार के आपदा विभाग की ओर से आइआइटी रुड़की को इसकी अनुमति दी जा चुकी है। अब इस प्रोजेक्ट में कार्य रही विशेषज्ञों की टीम सायरन के लिए ऐसी आवाज पर काम करने में जुट गई है, जिसके कान में पड़ते ही लोगों को मालूम पड़ जाएगा कि भूकंप आया है। यह आवाज एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड आदि वाहनों की आवाज से हटकर होगी। 

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अर्ली वार्निंग सिस्टम प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इनवेस्टीगेटर एवं आइआइटी रुड़की के भूकंप अभियांत्रिकी विभाग के प्रोफेसर एमएल शर्मा के अनुसार देहरादून व हल्द्वानी में भूकंप से पूर्व चेतावनी के लिए सायरन लगाए जाएंगे। सायरन की आवाज कैसी हो और एंबुलेंस व फायर ब्रिगेड की आवाज से किस तरह भिन्न हो, इस पर टीम काम कर रही है। ताकि आवाज सुनते ही लोग अविलंब सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं। इससे भूकंप से होने वाले नुकसान को न्यून किया जा सकेगा।  

5.5 की तीव्रता पर बजेगा सायरन 

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अर्थक्वेक अर्ली वार्निंग सिस्टम फॉर नॉर्दर्न इंडिया प्रोजेक्ट के तहत आइआइटी रुड़की चमोली से लेकर उत्तरकाशी तक 84 सेंसर लगा चुका है। इन स्थानों से भूकंप आने की सूचना और आंकड़े संस्थान के आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन उत्कृष्टता केंद्र में बनी प्रयोगशाला में दर्ज हो रहे हैं। वहीं अगले एक साल में आइआइटी को कुमाऊं में सौ सेंसर लगाने के साथ ही देहरादून व हल्द्वानी में भी सौ से लेकर 110 सायरन लगाने हैं। जो कि दस से पंद्रह किमी की दूरी पर होंगे। इन्हें एनआइसी और बीएसएनएल के टॉवरों के माध्यम से कनेक्टिविटी दी जाएगी। सायरन 5.5 तीव्रता का भूकंप आने पर ही बजेंगे। कारण इतनी तीव्रता या फिर इससे छोटे भूकंप आने पर जान-माल के नुकसान का खतरा नहीं होता। आइआइटी रुड़की के सभी हॉस्टल में भी सायरन लगाए गए हैं। 

अलर्ट में लगने वाला समय 

शहर, सेकेंड 

देहरादून, 20 

हरिद्वार, 22 

रुड़की, 31   

मुजफ्फरनगर, 44 

मेरठ, 57 

दिल्ली, 76 

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