सर्व पितृ अमावस्या के साथ ही आज श्राद्ध पक्ष का समापन
सर्वपितृ अमावस्या के साथ ही आज 15 दिन के पितृपक्ष यानि श्राद्ध पक्ष का समापन हो रहा है। सर्वपितृ अमावस्या आश्विन माह की अमावस्या को कहा जाता है।
हरिद्वार, [जेएनएन]: सर्वपितृ अमावस्या के साथ ही आज 15 दिन के पितृपक्ष यानि श्राद्ध पक्ष का समापन हो रहा है। सर्वपितृ अमावस्या आश्विन माह की अमावस्या को कहा जाता है। जिन पितरों की मृत्यु की तिथि पता नहीं होती, उनका श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या को किया जाता है। इसके साथ ही जिन्होंने आश्विन पूर्णिमा पर श्राद्ध नहीं किया, वे भी आज सर्वपितृ अमावस्या पर पितरों का श्राद्ध और तर्पण कर अपने पितरों को मोक्ष दिला रहे है।
सर्वपितृ अमावस्या को पितृविसर्जनी अमावस्या या महालय समापन अथवा महालय विसर्जन के नाम से भी जाना जाता है। महालया के दिन ही सभी पितरों की विदाई होती है। वैसे भी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन पितर, श्राद्ध-तर्पण की आशा में, अपने वंशजों के द्वार आते हैं। लेकिन अगर उन्हें पिंडदान न दिया जाये तो ऐसा कहा जाता है कि वे श्राप देकर वापस चले जाते हैं। इसलिये सर्वपितृ विसर्जन के दिन, पितरों का श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।
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शुक्रवार को अमावस्या पर सुबह से ही नारायणी शिला, कुशावर्त घाट व विभिन्न गंगा घाटों पर लोगों ने अपने पितरों के निमित्त तर्पण व कर्मकांड संम्पन्न कराये। लोगों ने पितरों के निमित्त वस्त्र, भोजन, पिंडदान सहित अन्य वस्तुएं दान दी। नारायाणी शिला पर सुबह पांच बजे से ही भगवान विष्णु के दर्शन करने वालों की लंबी कतार लगनी शुरू हो गई थी। इस दौरान लोगों ने नारायणी शिला पर हवन व तर्पण कर अपने पितरों को मोक्ष मिलने की कामना की।
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PICS: सर्वपितृ अमावस्या पर हरिद्वार में पितृ विसर्जन
स्नान का है बड़ा महत्व
अमावस्या पर पितरों के लिए तर्पण और कर्मकांड के साथ ही स्नान और यज्ञ का भी विशेष महत्व है। इस दिन गंगा के किनारे बैठना और गंगा में स्नान करने के साथ ही ध्यान, यज्ञ, तर्पण आदि करना भी पुण्यकारक कहा गया है। ऐसे में आज अमावस्या के मौके पर हरिद्वार समेत देशभर के गंगा घाटों पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी हुई हैं। हरकी पैड़ी गंगा की हृदयस्थली ब्रह्मकुंड पर भोर से ही गंगा स्नान का क्रम शुरू हो गया था। दिन चढ़ने तक स्नान करने वालों की भीड़ में इजाफा होगा।
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विदा होंगे पितृ
पितृविसर्जनी अमावस्या के साथ ही 15 दिन से पृथ्वी पर वास कर रहे पित्र भी अपने स्थानों को विदा हो जाएंगे। इस दिन लोग सभी पित्रों के निमित कर्मकांड, यज्ञ आदि संपन्न कराकर घर परिवार में सुख-समृद्धि की कामना कर रहे हैं।
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