इटली के दंपती को हरिद्वार खींच लाई भागवत गीता और गंगा
भारतीय संस्कृति की छांव में गीता के गूढ़ रहस्यों को समझने की ललक विदेशियों को हमेशा से ही धर्मनगरी खींचती रही है। उनकी राह में न तो दूरी बाधा बनी और न ही भाषा। अर्द्धकुंभ में भी ऐसा ही नजारा है।
संतोष तिवारी, हरिद्वार। भारतीय संस्कृति की छांव में गीता के गूढ़ रहस्यों को समझने की ललक विदेशियों को हमेशा से ही धर्मनगरी खींचती रही है। उनकी राह में न तो दूरी बाधा बनी और न ही भाषा। अर्द्धकुंभ में भी ऐसा ही नजारा है। पश्चिम से आए भक्त पांडालों दुभाषियों के जरिये संत-महात्माओं से गीता के रहस्यों को समझ रहे हैं। ऐसे ही भागवत प्रेमी हैं इटली के मिलान शहर निवासी पति-पत्नी डेविडे व बारबरा।
यह युगल धर्मनगरी में सनातनी परंपरा की बारीकियों से तो परिचित हो ही रहा है, अपनी इस भारत यात्रा को यादगार बनाने के लिए भारतीय दर्शन एवं सनातनी साहित्य का संकलन भी कर रहा है। उसे जब भागवत गीता और गीता दर्शन पर आधारित यथार्थ गीता नामक पुस्तक मिलीं तो उसने उन्हें माथे से लगा लिया।
गत 30 जनवरी को धर्मनगरी में सनातनी परंपरा से जुड़े इस दंपती को जब हमने मौनी अमावस्या पर हरकी पैड़ी में आस्था की डुबकी लगाते देखा तो उससे रूबरू होने की जिज्ञासा जगी। परिचय देकर हम भी उनके साथ हो लिए। हरकी पैड़ी से दंपती गौरीशंकर द्वीप पर स्थित गंगा आह्वान अखाड़ा के कैंप में पहुंचे।
यहां अखाड़ा के संरक्षक महंत प्रेमपुरी (नेपाली बाबा) व यथार्थ गीता के प्रणेता परमहंस स्वामी अड़गड़ानंद के शिष्य स्वामी सोहम के मध्य गीता पर चर्चा चल रही थी। डेविडे व बारबरा भी गीता के दर्शन को समझने के लिए यहीं ठहर गए। अंग्रेजी में अनुवादित गीता व यथार्थ गीता के पन्नों को पलटते हुए दोनों धर्म, मोक्ष, मानवमात्र के जीवन लक्ष्य, ईश्वर की प्राप्ति और कृष्ण दर्शन को समझने में तल्लीन हो गए।
दुभाषिए के जरिये डेविडे-बारबरा ने बताया कि भारतीय संस्कृति और यहां की परंपराओं में उनकी अटूट आस्था है। इटली के मिलान शहर में नेटसर्फिंग के दौरान अर्द्धकुंभ मेले का वीडियो देखा तो लगा कि मां गंगा उन्हें गीता के ज्ञान में डुबकी लगाने के लिए बुला रही हैं। सो, गत 30 जनवरी को वह दिल्ली होते हुए सीधे धर्मनगरी आ पहुंचे। बताया कि फिलहाल वे 12 फरवरी तक यहां रहेंगे।
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