गंगा के पास 35 अवैध स्टोन क्रशर पर ताले लगना तय
केंद्रीय जल संसाधन के निर्देश के बाद हरिद्वार में गंगा नदी से पांच किलोमीटर दायरे पर मौजूद 35 स्टोन क्रशर्स पर ताला लगेगा।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: धर्मनगरी हरिद्वार में गंगा के पांच किलोमीटर दायरे में अवैध रूप से संचालित 35 स्टोन क्रशर पर जल्द ही ताले लटकने के आसार है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के निर्देश के बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राज्य सरकार समेत हरिद्वार के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को इस बाबत आदेश जारी किए हैं। गंगा में रेत के अवैध खनन को रोकने के भी आदेश दिए हैं।
हालांकि, शासन के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि उन्हें अभी तक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का उक्त आदेश नहीं मिला है।
हरिद्वार में गंगा के आसपास अवैध स्टोन क्रशर व अवैध खनन को रोकने की मांग को लेकर आंदोलनरत मातृ सदन ने केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती से मिलकर भी यह अनुरोध किया था।
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मातृ सदन की इस मांग पर केंद्रीय जल संसधान मंत्रालय ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष एसपीएस परिहार को सख्त निर्देश दिए थे। अपर सचिव व महानिदेशक यूपी सिंह ने अपने इस आदेश में स्पष्ट किया कि गंगा के आसपास अवैध स्टोन क्रशर व अवैध खनन पर रोक लगाने के बारे में हाईकोर्ट व नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भी आदेश जारी कर चुके हैं।
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बताया कि गंगा के पांच किलोमीटर के दायरे में 35 अवैध स्टोन क्रशर संचालित हो रहे हैं। साथ ही, रेत का अवैध खनन भी जारी है, मगर इस बाबत नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश का अनुपालन नहीं हो रहा है। जल संसाधन मंत्रालय ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष को अवैध खनन व अवैध स्टोन क्रशर के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए।
साथ ही, मामले में पर्यावरण संरक्षण कानून 1986 की धारा पांच के तहत कार्रवाई के भी निर्देश दिए। गौरतलब है कि पर्यावरण संरक्षण कानून के धारा पांच में बोर्ड को अवैध स्टोर क्रशर को बंद करने का अधिकार है।
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जल संसाधन मंत्रालय के निर्देश के बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी इस बाबत राज्य सरकार समेत हरिद्वार जिला प्रशासन को आदेश जारी कर चुका है। ऐसे में अब हरिद्वार में गंगा के पांच किलोमीटर दायरे में अवैध रूप से संचालित 35 स्टोन क्रशर पर ताले लटकना तय माना जा रहा है। यह दीगर बात है कि शासन के आला अफसर फिलहाल केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के उक्त आदेश के संबंध में अनभिज्ञता व्यक्त कर रहे हैं। उनका कहना है कि आदेश मिलने के बाद ही इस बाबत कोई टिप्पणी या कार्रवाई की जा सकती है।
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