हाईवे पर मरहम पट्टी को तरसते घायल
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: देहरादून-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर हरिद्वार के हिस्से में पड़ने वाले कर
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: देहरादून-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर हरिद्वार के हिस्से में पड़ने वाले करीब 68 किलोमीटर के क्षेत्र में आबादी वाले इलाकों को छोड़कर पूरे रास्ते में दुर्घटना की स्थिति में घायलों के लिए मरहम पट्टी तक की उचित व्यवस्थाएं नहीं हैं। घायलों को नजदीकी अस्पताल तक पहुंचाने में ही घंटों का इंतजार करना पड़ता है।
वर्ष 2016 से लेकर अब तक हुई 584 गंभीर सड़क दुर्घटनाओं में 438 लोगों की जान चली गई, जबकि 567 उम्र भर के लिए अपाहिज व 289 ने आंखों की रोशनी गवां दी। इसके अलावा 1138 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। बावजूद इसके न तो स्वास्थ्य विभाग और न ही राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। लगातार हो रही दुर्घटनाओं और होने वाली मौतों को लेकर जिला प्रशासन ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को व्यवस्था सुधार के सख्त निर्देश देने के साथ ही उनके खिलाफ ऐसे मामलों में पुलिस रिपोर्ट लिखाने की चेतावनी दी है, पर अभी तक इस पर भी अमल नहीं हुआ है।
अस्पतालों की बात करें तो दोनों अस्पतालों में वेंटीलेटर, डायलिसिस और इंडोस्कोपी जैसी चिकित्सकीय सुविधाएं नहीं हैं। यहां तक कि जरूरत के वक्त हृदयरोग, जनरल सर्जन और सरकारी एंबुलेंस तक नहीं मिलती। रेफर होने की दशा में मरीजों को निजी व्यवस्था पर ही निर्भर होना पड़ता है। ऐसे में गंभीर रूप से घायल कई बार देहरादून या मेरठ के अस्पतालों में जे जाते समय रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।
जिलाधिकारी दीपक रावत ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग के अधूरे निर्माण और उसके कारण हो रही सड़क दुर्घटनाओं, उनमें होने वाली मौत गंभीर मामला है। मामला संज्ञान में आया है कि ज्यादातर मामलों में कहीं न कहीं इसमें निर्माणकर्ताओं की लापरवाही रही है। उन्हें व्यवस्था में सुधार को कहा गया है। सुधार न होने पर ऐसे लोगों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की जाएगी।
वर्ष, दुर्घटना, मौत, घायल
2014, 445, 234, 371
2015, 537, 307, 537
2016, 374, 237, 366
2017, 210, 201, 772
(अब तक)