री-एडमिशन फीस नहीं तो एनुअल मेंटेनेंस
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: सीबीएसई की गाइडलाइन के बावजूद निजी स्कूलों में अभिभावकों से मोटी रकम वसूल
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: सीबीएसई की गाइडलाइन के बावजूद निजी स्कूलों में अभिभावकों से मोटी रकम वसूलने का खेल थम नहीं रहा है। जिले में स्कूल प्रबंधन री-एडमिशन के नाम पर वसूली कर रहे हैं। इस फीस को अब एनुअल मेंटेनेंस का नाम देकर नई पैंतरेबाजी शुरू की है। यही नहीं, उक्त मद में ली गई फीस को वापस करने से साफ मना भी कर दिया है। शिकायत के बावजूद स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं। मामले की शिकायत राज्य मानवाधिकार आयोग से की गई है।
राज्य सरकार ने 27 अप्रैल 2017 को शासनादेश जारी कर प्रदेश में स्थित सीबीएसई और आइसीएसई नई दिल्ली के अलावा राज्य बोर्ड से सम्बद्ध विद्यालयों में री-एडमिशन फीस पर रोक लगा दी थी। शासनादेश में कहा गया था कि छात्र या छात्रा को एक बार विद्यालय में प्रवेश देने के बाद हर वर्ष अगली कक्षा में री-एडमिशन के नाम पर प्रवेश शुल्क न वसूला जाए। कॉशन मनी के नाम से भी अतिरिक्त शुल्क न लें। स्कूलों से री-एडमिशन शुल्क अभिभावकों को वापस करने के आदेश भी जारी किए गए, लेकिन इनका पालन नहीं हुआ।
इस सरकारी मंशा पर स्थानीय प्रशासन भी चुप्पी साधे हुए है। अभिभावकों से गलत तरीके से विभिन्न मदों में वसूले पैसे को वापस नहीं कराया गया। नतीजा यह हुआ कि बेखौफ स्कूल प्रबंधन ने री-एडमिशन का तोड़ निकालते हुए प्रवेश शुल्क और कॉशन मनी को एनुअल मेंटेनेंस में बदल दिया। निजी प्रबंधन की मनमानी से हरिद्वार के दो दर्जन से अधिक स्कूलों में पढ़ रहे 50 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं के 20 हजार से ज्यादा अभिभावक परेशान हैं। शिकायत के बावजूद स्थानीय प्रशासन ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। आरोप है कि री-एडमिशन फीस वापस मांगने पर स्कूल प्रबंधन की ओर से स्कूल प्रबंधन बच्चों का भविष्य खराब करने तक की धमकी दे रहे हैं। हरिद्वार के वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भदौरिया ने राज्य मानवाधिकार आयोग को शिकायत पत्र भेजकर मामले की शिकायत मानवाधिकार आयोग से करते हुए उनसे हस्तक्षेप करने की मांग की है।
स्कूलों को फीस वापसी के लिए 30 मई तक का समय दिया गया है। री-एडमिशन फीस वापस न करने पर स्कूलों का खाता सीज करने की कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. पुष्पलता वर्मा, मुख्य शिक्षा अधिकारी