दरांती थाम फसल काटने को मजबूर बच्चे
हर्ष सैनी, धनौरी पूरे साल गांव में रोजगार न होने से शहरों की ओर मजदूरों के पलायन से गांवों में खेत
हर्ष सैनी, धनौरी
पूरे साल गांव में रोजगार न होने से शहरों की ओर मजदूरों के पलायन से गांवों में खेती पर भी संकट मंडराने लगा है। मजदूरों की कमी से खेत में दरांती की चाल थमने लगी है। पेट भरने के लिए जिन्होंने खेती की है उनके बच्चों को दरांती उठाने की मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसे में बच्चों का बचपन तो गुम हो ही रहा है, उनकी शिक्षा दीक्षा भी प्रभावित हो रही है।
गेहूं की कटाई के लिए धनौरी ही नहीं पड़ोस के गांवों में मजदूर खोजे नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में गेहूं कटान मे देरी से किसानों के माथे पर पसीना छलक रहा है। बारिश की आशंका में चिंतित किसान खेत में बच्चों के साथ ही दरांती थाम कर जुट गए हैं। कई जगह किसान अकेले की दिन रात गेहूं काटने में लगे हैं। ताकि समय से खेत खाली हो और वे अगली फसल की तैयारी कर सकें। पिछले पांच-छह वर्ष में मजदूरों की तादात काफी कम हो गई है। अधिकांश ने दिल्ली, मुंबई का रुख कर लिया है तो बहुतेरे हरिद्वार के सिडकुल, रोशनाबाद, बेगमपुर, भगवानपुर,पदार्था आदि औद्योगिक क्षेत्र में मजदूरी कर पेट पाल रहे हैं।
मजदूरी कम होने से संकट
देहात क्षेत्र में मजदूरों को शहर की अपेक्षा कम मजदूरी मिलने का असर पर भी मजदूरों की कमी का कारण है। किसान मांगेराम, जनेश्वर प्रसाद, चट्टान ¨सह, महिपाल ¨सह का मानना है कि पूर्व में एक बीघा गेहूं कटाई के एवज में तीन धड़ी गेहूं दिया जाता था। अब आठ या नौ धड़ी गेहूूं ऐसे में तकरीबन 45 किलो प्रति बीघा के हिसाब से भी मजदूर नहीं मिल रहे हैं।
बुजुर्ग किसान हैरत में
गांव में मजदूरों के न मिलने से बुजुर्ग किसान हैरत में हैं। इसम ¨सह, जहूर अली बताते हैं कि पहले मजदूर किसान के यहां वर्ष भर के अनुबंध पर काम करते थे।
मजदूरों को सुबह, दोपहर शाम के दैनिक भोजन के अलावा फसल का अंश भी दिया जाता था। बदले वक्त में खेती के तौर तरीके बदले तो मजदूरों को पूरे साल रखने की कोई जहमत नहीं उठाना चाहता। सभी चाहते हैं कि बस खेती के सीजन में दिहाड़ी मजदूर मिल जाएं। जिससे मजदूरों पर कर्म खर्च करना पड़े।
गेहूं कटान मे हुई देरी के चलते मक्का बाजरा,ज्वार, लोबिया,गन्ने की फसल लेटलतीफी का कारण बनेगी। ऐसे में किसानों को कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ेगा। कटाई में मजदूरों की कमी का यही हाल रहा तो अगली फसल के पछेती होने की संभावना बढ़ जाएगा।
पुरुषोत्तम कुमार, प्रभारी-कृषि विज्ञान केंद्र,धनौरी