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संतपुरा की गुरु-शिष्य परंपरा अनुकरणीय

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: श्री निर्मल संतपुरा के परमाध्यक्ष महंत जगजीत ¨सह ने आश्रम के संस्थापक ब्र

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Mar 2017 09:13 PM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2017 09:13 PM (IST)
संतपुरा की गुरु-शिष्य परंपरा अनुकरणीय
संतपुरा की गुरु-शिष्य परंपरा अनुकरणीय

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: श्री निर्मल संतपुरा के परमाध्यक्ष महंत जगजीत ¨सह ने आश्रम के संस्थापक ब्रह्मलीन महंत हरनाम ¨सह, संत हीरा ¨सह, महामंडलेश्वर रघुवीर ¨सह शास्त्री तथा महंत महेन्द्र ¨सह की पावन स्मृति में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की। इसमें सभी 13 अखाड़ों एवं आश्रमों के संत महापुरूषों ने ब्रह्मलीन संतों को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए निर्मल संतपुरा की गुरु-शिष्य परंपरा को अनुकरणीय बताया।

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श्रद्धांजलि सभा को मुख्य महापुरुष के रूप में संबोधित करते हुए श्री निर्मल पीठाधीश्वर श्रीमहंत ज्ञानदेव ¨सह ने कहा कि संत महापुरुष ही भगवान के दूसरे स्वरूप हैं और जो भक्त संत के सानिध्य में आ जाता है उसका भगवान के साक्षात्कार का मार्ग सुशांत हो जाता है। उन्होंने निर्मल संतपुरा की गुरु शिष्य परंपरा के अद्वितीय बताते हुए कहा कि संस्कार और संस्कृति के संव‌र्द्धन में संतों का योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा। कोठारी महंत बलवंत ¨सह ने निर्मल संतपुरा के संस्थापक रघुवीर ¨सह शास्त्री के प्रयासों की सराहना की। रुद्रपुर से पधारे संत विक्रमजीत ¨सह लाल ने नव संवत को सनातन धर्म का गौरव बताया। इस मौके पर सुरेंद्र मुनि, डॉ. श्यामसुंदर दास शास्त्री, महंत गोपाल मुनि, महंत मोहन ¨सह, शिवशंकर गिरि, रविदेव शास्त्री, मोहनदास रामायणी, महंत सुखदेव मुनि, महंत धीरेंद्र ब्रह्मचारी, महंत प्रेमदास आदि मौजूद थे।


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