जंगली जानवरों ने छीना सुकून
संवाद सहयोगी, हरिद्वार: ग्रामीणों को जंगली जानवरों से न खेतों में चैन मिल पा रहा है और न ही घर में स
संवाद सहयोगी, हरिद्वार: ग्रामीणों को जंगली जानवरों से न खेतों में चैन मिल पा रहा है और न ही घर में सुकून। ग्रामीण खेतों की रखवाली करते हैं तो उन्हें गुलदार, हाथी व अन्य जानवरों का खतरा हर समय बना रहता है। वहीं यदि वह घर पर हैं तो वह छत पर जाने से कतराते नजर आते हैं।
अभी तक ग्रामीण खेतों में जाने से घबराते थे, लेकिन अब वह घर में भी रुकने से डर सता रहा है। इसके चलते ग्रामीणों के सामने अपने आपको सुरक्षित रखने की समस्या खड़ी हो गई है। न तो जंगली जानवर ग्रामीणों को खेतों की रखवाली ठीक से करने दे रहे हैं और न ही घर रुकने पर उन्हें सुकून से जीने दे रहे हैं। पथरी क्षेत्र के मिस्सरपुर, कटारपुर, पंजनहेड़ी, फेरुपुर, जगजीतपुर आदि क्षेत्रों में जहां हाथियों का आतंक है। वहीं लालढांग क्षेत्र के गैंडीखाता, श्यामपुर, कांगड़ी, पीली आदि में बंदरों का आतंक व्याप्त है।
केस-1
-4 मार्च को श्यामपुर निवासी दयान पुत्र शानू अंसारी सुबह अपने घर के आंगन में खेल रहा था। तभी बंदर ने उसकी पीठ घायल कर दिया। बच्चे के शोर मचाने पर परिजनों ने बंदर को दौड़ाकर भगाया।
केस-2
-3 फरवरी धनौरी निवासी रिहान पुत्र नौशाद स्कूल से घर लौट रहा था। जैसे ही वह घर के पास पहुंचा था तभी बंदरों ने उस पर हमला बोल दिया था। बंदर ने रिहान के हाथ पर काट लिया था। करीब 20 दिन बाद रिहान का जख्म ठीक हुआ।
शहर में बंदरों को पकड़ने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। यदि बंदरों का आतंक अधिक है तो वनकर्मियों को बंदरों के आतंक प्रभावित क्षेत्र में भेजा जाएगा और ¨पजरा लगाकर बंदरों को पकड़वाया जाएगा।
महेश प्रसाद सेमवाल, रेंजर, हरिद्वार
बंदरों को पकड़ने का अभियान मेरे चार्ज लेने से पूर्व चलाया गया था। पुन: फाइल निकलवाकर बंदरों को पकड़ने का कार्य शुरू कराया जाएगा।
अशोक कुमार पांडे, प्रभारी नगर आयुक्त, हरिद्वार