बजट के इंतजार में नये ग्राम प्रधान
जागरण संवाददाता, रुड़की : निर्वाचित ग्राम प्रधानों को गांव की सत्ता तो दो माह पहले ही मिल गई, लेकिन ब
जागरण संवाददाता, रुड़की : निर्वाचित ग्राम प्रधानों को गांव की सत्ता तो दो माह पहले ही मिल गई, लेकिन बजट अभी तक नहीं दिया गया। पूर्व में जो बजट जारी किया गया, उसमें भी अधिकांश पुराने प्रधानों ने ही खर्च कर दिया है जिसके चलते निर्वाचित ग्राम प्रधान मायूस है।
हरिद्वार जिले की 308 ग्राम पंचायतों में सरकार ने समय से पूर्व चुनाव करा दिए। चुनाव के तीन माह बाद निर्वाचित ग्राम प्रधानों को गांव की सत्ता सौंपी गई। सत्ता संभालने के बाद ग्राम प्रधानों पर विकास कार्यों के लिये दबाव बढ़ा है, लेकिन दिक्कत यह है कि अधिकांश ग्राम पंचायतों में पुराने प्रधानों ने खाते ही खाली कर दिये। मार्च के अंतिम सप्ताह में आये बजट को पंचायतघर की मरम्मत, सड़कों के निर्माण पर ही खर्च दिखा दिया है। अब पंचायतों में विकास कार्यों के लिए फूटी कौड़ी भी नहीं है। वित्त वर्ष को चालू हुये करीब दो माह होने को हैं, लेकिन सरकार की ओर से भी राज्य वित्त आदि से कोई बजट ही नहीं दिया गया है। ऐसे में ग्राम प्रधान ब्लाक मुख्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। ग्राम प्रधान कमर आलम, रेखा देवी, सुनीता, विजय ¨सह आदि ने बताया कि गांव की जनता ने जनवरी माह में उन पर विश्वास जताते हुये उन्हें ग्राम प्रधान बनाया। तब से लोगों की उम्मीद है कि गांव के विकास कार्यों में तेजी आएगी लेकिन अभी तक सरकार की ओर से बजट ही जारी नहीं किया गया है। बरसात शुरू होने वाली है। उससे पहले सड़क, पानी की निकास नालियों का निर्माण होना है। इसके अलावा गांव में हैंडपंप आदि भी लगने हैं लेकिन बजट ही नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने मांग उठाई कि जल्द से जल्द बजट दिया जाए।
कई ग्राम पंचायतों में शुरू हुई शिकायत
मार्च माह के अंतिम सप्ताह में सरकार की ओर से जारी किये गये बजट को ग्राम प्रधानों ने जल्दबाजी में खर्च कर दिया। कुछ जगह तो पूर्व में ही कार्य हो चुके थे, बाद में उनका भुगतान किया गया है। रुड़की विकास खंड की सात, नारसन की नौ और भगवानपुर विकास खंड के पांच पूर्व प्रधानों के खिलाफ जिला स्तर पर शिकायत भी हुई। इन मामलों में मुख्य विकास अधिकारी की ओर से जांच के निर्देश भी दिये गये हैं।
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'मार्च के बाद से तो कोई बजट ग्राम पंचायतों को नहीं मिल पाया है। शासन स्तर से जल्द बजट जारी होने की उम्मीद है। कुछ ग्राम पंचायतों के पास पुराना बजट है, जिससे विकास कार्य कराये जा रहे हैं।'
एम जफर खान, डीपीआरओ।