टीबी मरीजों की जान से खिलवाड़
विनोद श्रीवास्तव, हरिद्वार: धर्मनगरी में स्वास्थ्य महकमा राष्ट्रीय कार्यक्रमों के क्रियान्वयन को ल
विनोद श्रीवास्तव, हरिद्वार:
धर्मनगरी में स्वास्थ्य महकमा राष्ट्रीय कार्यक्रमों के क्रियान्वयन को लेकर भी गंभीर नहीं है। गजब तो यह कि जिला अस्पताल में सामान्य रोगियों के साथ ही टीबी मरीज रखे जा रहे हैं। यही नहीं अस्पताल में पर्याप्त दवा व जांच की सुविधा तक उपलब्ध नहीं है।
जिला अस्पताल में टीबी जैसी बीमारी के इलाज का भी मुक्कमल इंतजाम नहीं है। टीबी के रोगियों के लिए न तो अलग वार्ड है और न ही उनके रहने का सही इंतजाम है। ऐसे में इनके साथ ही अन्य मरीजों में भी टीबी फैलने की संभावना बनी रहती है। टीबी क्लीनिक में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को जांच व दवा के नाम पर भी बाहर भटकना मजबूरी बन रही है। आए दिन इन मरीजों को जांच के लिए निजी क्लीनिकों पर दौड़ लगानी पड़ती है।
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इन जांचों की सुविधा नहीं
-कल्चर
-मांटेक्स
-स्पूटम
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खांसी व ताकत की दवा नहीं
टीबी के मरीजों का अस्पताल में किस प्रकार इलाज हो रहा है। इसकी बानगी के लिए यह काफी है कि इन मरीजों को अस्पताल से खांसी व ताकत की दवा भी नहीं उपलब्ध हो पा रही है। ऐसे में मरीजों को सामान्य दवाओं के लिए भी मेडिकल स्टोर की दौड़ लगानी पड़ रही है।
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अलग वार्ड बनाने के लिए लिखा है पत्र
हरमिलाप जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ ज्योति बोहरा का कहना है जिले में टीबी के मरीजों के लिए कोई अलग से अस्पताल जैसी व्यवस्था नहीं है। सिर्फ अलग भवन में इनकी जांच व दवा दी जाती है। जिला अस्पताल में ही इन मरीजों को भर्ती किया जाता है। इनके लिए वार्ड बनाए जाने के लिए कई बार पत्र लिखा है। शुक्रवार को सीएमओ को एक बार फिर लिखित पत्र देकर अलग वार्ड बनाने का अनुरोध किया गया है।
बाहर भेजना मजबूरी
वरिष्ठ क्षय रोग अधिकारी डॉ मनोज वर्मा की मानें तो टीबी के मरीजों को इससे संबंधित दवाएं तो फ्री में दी जाती है, जो कि अस्पताल में मौजूद है। लेकिन बलगम जांच के अलावा कल्चर, मांटेक्स आदि जांच के लिए जिले के अन्य सरकारी अस्पतालों में भेजा जाता है। लेकिन वहां पर भी जांच न होने पर मरीज मजबूरी में बाहर जाता है। बताया कि ताकत व खांसी तक की दवा स्टोर में नहीं है। इसलिए बाहर से लिखनी पड़ती है।
दवा व जांच का इंतजाम किया जाएगा
सीएमओ डॉ आरती ढौ¨ढयाल का कहना है कि ताकत व खांसी जैसी दवाएं टीबी अस्पताल को उपलब्ध कराई जाएंगी। जहां तक जांच की बात है मेला और हरमिलाप अस्पताल में इन जांच को कराने के लिए अलग से स्टाफ रखा जाएगा। जल्द ही वे डीजी से मिलकर टीबी के मरीजो के लिए अलग से वार्ड बनाने की अनुमति हासिल करेंगी।