मुस्लिमों के लिए भी खुले हैं बाबा के द्वार
संवाद सूत्र, कलियर: इमलीखेड़ा गांव के प्राचीन शिव मंदिर के द्वार मुस्लिमों के लिए भी खुले हैं। ऐसा गा
संवाद सूत्र, कलियर: इमलीखेड़ा गांव के प्राचीन शिव मंदिर के द्वार मुस्लिमों के लिए भी खुले हैं। ऐसा गांव के कुछ मुस्लिम लोग कह रहे हैं। जबकि पुलिस जांच में भी यह बात सामने आई है कि दलित युवकों को मंदिर में भगवान के दर्शन करने से नहीं रोका गया। बल्कि शराब पी रहे युवकों को वहां से पुजारी ने हटाया था। इसकी शिकायत तीन दिन पहले ही पुलिस से भी कर दी गई थी। इस बात से नाराज युवकों ने वहां जाकर हंगामा किया था। किसी को भी मंदिर से नहीं निकाला गया था।
इमलीखेड़ा गांव के प्राचीन शिव मंदिर में बालाजी का भी मंदिर बना है। इस मंदिर में ¨हदू ही नहीं गांव के मुस्लिम लोग भी आते हैं। यह कहना है गांव के पूर्व प्रधान जुल्फकार अली का। उनका कहना है कि आज तक गांव में ऐसा नहीं हुआ है। गांव से दलित युवकों को बाहर नहीं निकाला गया। इस बात को गलत तरीके से पेश किया गया। वहीं पुलिस की जांच में भी यह बात सामने आई है कि दलित युवक को मंदिर में भगवान के दर्शन करने से नहीं रोका गया। बल्कि पुजारी ने मंदिर परिसर में बैठकर शराब पी रहे युवकों को वहां से जाने को कहा था। इस बात की बकायदा पुलिस से शिकायत भी की गई थी। इमलीखेड़ा चौकी इंचार्ज संदीप देवरानी ने बताया कि पुलिस ने इस मामले की जांच की है। उन्होंने बताया की रविवार को जिस समय बालाजी की पूजा अर्चना चल रही थी उस समय कुछ युवक मंदिर परिसर की धर्मशाला के बरामदे में शराब पी रहे थे। पुजारी ने उन्हें ऐसा करने से रोका था इसकी शिकायत पुलिस से की गई थी। उस समय युवक चले गए थे लेकिन सोमवार को वह फिर आ गए लेकिन पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया था। इस बात से वह पुजारी से नाराज थे। इसी बात को लेकर कुछ दलित युवक वहां पहुंचे थे और हंगामा किया। उधर, इस तरह के मामलों को तूल देने से गांव के लोगों में भी रोष है।
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बोले ग्रामीण
गांव में इस तरह की कोई बात नहीं है। युवक शराब पी रहे थे उन्हें रोका गया तो इस तरह का माहौल बनाया गया। गांव में मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों के द्वार सभी के लिए खुले हैं।
अंबरीश सैनी, ग्रामीण
मंदिर परिसर में शराब पीना सरासर गलत है, कुछ लोगों ने चुनाव और अन्य रंजिश का लाभ लेने के लिए इस तरह का माहौल बनाया है। गांव का माहौल खराब करने वालों को बर्दाशत नहीं किया जाएगा
नीटू ग्रामीण
धार्मिक स्थल पर शराब पीना गलत है उन्हें इसके लिए रोका गया था, उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस से तीन दिन पहले की थी। इसी बात का बदला लेने के लिए युवकों ने आकर हंगामा कर इस तरह का झूठा माहौल बनाया।
बाबूलाल परासर, मंदिर के पुजारी
किसी दलित को मंदिर में प्रवेश करने से नहीं रोका गया, लेकिन नशा करने वाले युवकों को वहां से हटाना कोई गलत नहीं है। इस तरह के मामलों को तूल नहीं देना चाहिए
सोमपाल वाल्मीकि
मंदिर में किसी दलित को प्रवेश करने से नहीं रोका गया, गलत अफवाह फैलाने वाले लोगों के खिलाफ पुलिस को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, गांव का माहौल खराब करने वालों के खिलाफ लोगों को लामबंद होन चाहिए।
कर्मपाल, ग्रामीण
घटना के समय वह भी मंदिर में मौजूद थे, मंदिर में किसी को भी प्रवेश करने से नहीं रोका गया। जो लोग इस तरह का प्रचार कर रहे है वह बिल्कुल गलत है।
जयभगवान गिरी, ग्रामीण