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भूखे पेट भजन कैसे, बिफरे संत-श्रद्धालु

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: अ‌र्द्धकुंभ में देश के कोने-कोने से आ रहे संतों-श्रद्धालुओं को सस्ता खाद्

By Edited By: Published: Wed, 10 Feb 2016 12:58 AM (IST)Updated: Wed, 10 Feb 2016 12:58 AM (IST)
भूखे पेट भजन कैसे, बिफरे संत-श्रद्धालु

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: अ‌र्द्धकुंभ में देश के कोने-कोने से आ रहे संतों-श्रद्धालुओं को सस्ता खाद्यान्न मुहैया कराने में मेला प्रशासन नाकाम साबित हो रहा। साधु-संतों, अखाड़ों और धार्मिक संस्थाओं में इसे लेकर खासा आक्रोश है। यही कारण है कि नीलधारा, गौरीशंकर व अन्य सेक्टरों में संत-महात्माओं के कैंप खड़े तो हो गए हैं, लेकिन धार्मिक-आध्यात्मिक गतिविधियां लगभग शून्य हैं। गंगा की शरण में ईश्वर की आराधना को आए साधु-संतों व उनके साथ आए श्रद्धालुओं का अधिकांश समय अनाज व ईंधन के बंदोबस्त में ही गुजर जा रहा है।

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धर्मनगरी में कुंभ के बाद अ‌र्द्धकुंभ ही ऐसा पर्व है, जब देश-दुनिया से लाखों की संख्या में यहां तीर्थाटन करने को पहुंचते हैं। इसके लिए शासन-प्रशासन स्तर से जनवरी 2015 से युद्धस्तर पर तैयारियां चल रही हैं, लेकिन चंद कामों को छोड़ दिया जाए तो श्रद्धालुओं के कई सवाल का जवाब अब भी मेला प्रशासन नहीं तलाश सका है। सोमवती अमावस्या के रूप में हुए दूसरे स्नान पर्व पर लाखों की भीड़ देख मेला प्रशासन गदगद है, लेकिन उन्हें यहां रोकने के लिए कोई बंदोबस्त नहीं कर सका है। दिसंबर में मेला आरम्भ होने से पहले मेलाधिकारी की ओर से दावा किया गया था कि मेला ड्यूटी पर आ रहे सुरक्षा बलों के साथ-साथ साधु-संतों व श्रद्धालुओं को सस्ता राशन मुहैया कराया जाएगा, लेकिन डेढ़ माह का समय गुजर गया और अब तक मेला के लिए छटांक भर खाद्यान्न भी नहीं पहुंचा। मेला क्षेत्र में आ रहे संतों, धार्मिक संस्थाओं में इसे लेकर खासा आक्रोश है। उनका कहना है कि जब यहां दो जून के भोजन के लिए कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है तो मन खिन्न हो जाता है।

पिछले अ‌र्द्धकुंभ में नहीं आया था खाद्यान्न!

अ‌र्द्धकुंभ में साधु-संतों और श्रद्धालुओं की सुविधा की अनदेखी कोई पहली बार नहीं हो रही है। मेला प्रशासन की मानें तो वर्ष 2004 में आयोजित अ‌र्द्धकुंभ में भी सरकार की ओर से सस्ता अनाज उपलब्ध नहीं कराया गया था। लिहाजा इस अ‌र्द्धकुंभ में खाद्यान्न मंगाने को लेकर मेला प्रशासन चाहे जो दिखावा कर ले, लेकिन संतों-श्रद्धालुओं को राहत देने के लिए कोई उम्मीद नहीं जगा सका है।

इतने खाद्यान्न की है जरूरत

गेहूं-10 हजार मीट्रिक टन

चावल- 4 हजार मीट्रिक टन

चीनी-1.5 हजार मीट्रिक टन

केरोसिन-15 सौ किलोलीटर

धर्म-अनुष्ठान से पहले भोजन की व्यवस्था करने में हलकान हो जाना पड़ रहा है। साथ आए शिष्य रोज चंडी घाट या पंतद्वीप से सामान लेकर आते हैं। इसी में काफी परेशान हो जाना पड़ रहा है। इसी की वजह से धार्मिक अनुष्ठान करने में भी दिक्कतें आ रही हैं।

स्वामी अमोलानंद तीर्थ

मेला क्षेत्र में इंतजाम नाकाफी हैं। सिर्फ भूमि देकर मेला प्रशासन ने अपना काम पूरा हुआ समझ लिया, जबकि यहां जरूरत की हर वस्तु के लिए भटकना पड़ रहा है। यहां तक हवन-यज्ञ के लिए लकड़ी तक का इंतजाम अपने स्तर से करना पड़ रहा है।

स्वामी महंत प्रेमपुरी

आधे-अधूरे इंतजाम के कारण यहां दो-चार दिन भी टिकना मुश्किल है। दूरदराज से संत इस उम्मीद में आ रहे हैं कि वहां सभी रहना, खाना हो जाएगा। फिर धर्म-कर्म गंगा के तट पर हो जाएगा, लेकिन यहां का वातावरण मेला के अनुकूल नहीं बन पाया है।

स्वामी सोहम

शासन से अ‌र्द्धकुंभ मेला से पहले खाद्यान्न की मांग की गई थी, लेकिन अभी तक आवंटन नहीं हो सका है। इसके लिए विभाग की ओर से शासन को पत्र भेजा गया है।

राहुल शर्मा, डीएसओ, हरिद्वार


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