कहां से आ रहा मौत का सामान
केके शर्मा, रुड़की: शहर और देहात में अवैध हथियारों का कारोबार जमकर हो रहा है। आए दिन तमंचों के साथ
केके शर्मा, रुड़की:
शहर और देहात में अवैध हथियारों का कारोबार जमकर हो रहा है। आए दिन तमंचों के साथ बदमाश तो पकड़े जाते हैं, लेकिन पुलिस यह पता नहीं कर पाती की आखिर कहां से अवैध हथियारों की खरीददारी हो रही है। देहात क्षेत्र में सस्ते दामों पर अवैध हथियार आसानी से मिल जाते है। अब पंचायत चुनाव में यह अवैध हथियार खलल डाल सकते हैं।
शहर और देहात में अवैध तमंचों का खुलकर इस्तेमाल हो रहा है। आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले करीब तीन माह के दौरान पुलिस 30 से अधिक ऐसे आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है जिन्हें तमंचों के साथ दबोचा गया। चाहे मामला बेलड़ा से अपहरण किए गए बच्चों का रहा हो या फिर आवास विकास कालोनी में 15 अगस्त को दिनदहाड़े उद्यमी विजय अग्रवाल के घर में घुसकर लूटपाट का। बदमाशों ने यहां पर लूट में असफल रहने पर तमंचे से फायर की थी। लेकिन इन मामलों में पुलिस यह पता लगाने में पूरी तरह से नाकाम रही है कि आखिरकार बदमाशों ने यह तमंचे कहां से खरीदे थे। नवंबर माह में भी पंचायत चुनाव के दौरान अवैध हथियारों की खेप चुनावी माहौल को प्रभावित कर सकती है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर ही क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध कारोबार चल रहा है। देहात क्षेत्र में दो हजार रुपए में तमंचा तो पांच हजार रुपए में बंदूक आसानी से मिल जाती है। यह खुलासा उस समय हुआ था जब कुछ माह पहले भगवानपुर क्षेत्र में अवैध हथियारों की फैक्ट्री पकड़ी गई थी। इसके बावजूद भी पंचायत चुनाव को लेकर पुलिस की तरफ इस और कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
सीमा से सटे गांव में हो रहा कारोबार
उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे कई गांव में अवैध तमंचों का कारोबार संचालित हो रहा है। यह चाहे भगवानपुर, बुग्गावाला क्षेत्र से सटा हुआ इलाका हो या फिर नारसन क्षेत्र हो। इन जगहों पर सबसे अधिक अवैध तमंचों का इस्तेमाल हो रहा है। मंगलौर और नारसन क्षेत्र में सबसे अधिक अवैध हथियार गरजते है।
दो बार पकड़ी जा चुकी फैक्ट्री
करीब चार माह पहले भगवानपुर के टकाभरी गांव में एक घेर पर छापा मारकर पुलिस ने अवैध हथियारों की फैक्ट्री पकड़ी थी। वहीं छह माह पूर्व पहले झीवरहेड़ी क्षेत्र में भी अवैध हथियारों की फैक्ट्री पकड़ी गई थी।
केस नंबर एक: बेलड़ा गांव में बच्चों के अपहरण के आरोप में पकड़े गए दो आरोपियों के कब्जे से पुलिस ने देशी तमंचे बरामद किए थे। लेकिन यह तमंचे कहां से खरीदे गए थे इसका खुलासा नहीं हो सका।
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केस नंबर दो: चार दिन पहले एक रिक्शा चालक को तमंचे दिखाकर धमकाने के आरोपी को पुलिस ने तमंचे के साथ गिरफ्तार किया था। लेकिन पुलिस अभी तक यह पता नहीं कर पाई की आखिर यह तमंचा कहां से खरीदा गया था।
केस नंबर तीन: तीन दिन पहले झबरेड़ा पुलिस ने दो वाहन चोरों को गिरफ्तार किया था। इनके कब्जे से भी पुलिस ने देशी तमंचे बरामद किए थे। लेकिन पुलिस आरोपियों को जेल भेजने तक सीमित रही। आरोपियों ने तमंचे कहां से खरीदे थे। पुलिस इस मामले की तह तक नहीं जा पाई है।