दशकों बाद रोहिणी नक्षत्र में मनेगी जन्माष्टमी
जागरण संवाददाता, हरिद्वार : इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी रोहणी नक्षत्र में मनाई जाएगी। रोहणी नक्षत्र
जागरण संवाददाता, हरिद्वार : इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी रोहणी नक्षत्र में मनाई जाएगी। रोहणी नक्षत्र का उदय शुक्रवार आधी रात के बाद 12.20 बजे होगा, जो शनिवार अर्द्धरात्रि 12.09 बजे तक रहेगा। गौरतलब है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म इसी नक्षत्र में हुआ था और यह दुर्लभ संयोग कई दशक बाद बन रहा है। हालांकि समय को लेकर ज्योतिषाचार्यो में मतभेद है। इतना ही नहीं ज्यातिषाचार्यो के अनुसार इस दिन कई अद्भुत योग भी बन रहे हैं। श्रीवर्ष योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत योग का शुभ संयोग भी इसी दिन है।
ज्यातिषाचार्य पंड़ित शक्तिधर शर्मा के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म कीलक संवत्सर में भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष में अष्टमी तिथि को अर्द्धरात्रि काल में हुआ था। उस वक्त रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा वृष राशि में था। उन्होंने बताया कि इस बार कृष्ण जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि लगभग पूरे दिन रहेंगी। इसी दुर्लभ योग से जयंती योग भी बन रहा है। पंडित शर्मा के अनुसार रोहिणी नक्षत्र में पड़ने वाली कृष्ण जन्माष्टमी को केवलाष्टमी भी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि इससे पहले यह संयोग वर्ष 1955 में बना था।
देहरादून के ज्योतिषाचार्य आचार्य संतोष खंडूड़ी के अनुसार यह योग वर्ष 1965 में देखने को मिला था। तब भी ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति यही थी। वहीं, रुद्रप्रयाग में ज्योतिषचार्य भानुप्रसाद देवली का मत है कि इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर वही योग बन रहे हैं जो द्वापर युग में बने थे। इसमें एकमात्र दिन का ही अंतर है। द्वापर में उस दिन बुधवार था, जबकि इस बार शनिवार है।