गुरु भगवान का दूसरा रूप
संवाद सहयोगी, हरिद्वार: श्रीदक्षिण काली पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने गुरु
संवाद सहयोगी, हरिद्वार: श्रीदक्षिण काली पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने गुरु को भगवान का स्वरूप बताया। उन्होंने कहा कि माता-पिता व गुरु ही व्यक्ति के सच्चे हितैषी होते हैं, जो संकट में भी साथ नहीं छोड़ते। नीलधारा स्थित श्रीदक्षिणकाली मंदिर में आयोजित ज्ञानदीक्षा कार्यक्रम में उन्होंने गुरु महिमा का बताई।
कार्यक्रम में उन्होंने मौजूद लोगों से सद्आचरण अपनाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि सन्मार्ग से ही व्यक्ति को सदगति प्राप्त होती है। उन्होंने इंद्रियों को वश में रखने के लिए गुरुमंत्र का जाप करने का मंत्र दिया। उन्होंने कहा जो व्यक्ति मन की तरंग को मारकर आत्मा की आवाज पर कर्म करता है, उसे भगवान के प्रेम व कृपा की अनुभूति होती है। श्री ब्रह्मचारी ने कहा कि गुरु से ज्ञानदीक्षा के बाद ही व्यक्ति जीवन में आने वाली मुश्किलों को दूर करने की शक्ति प्राप्त करता है। इस मौके पर उन्होंने ज्ञानदीक्षा कार्यक्रम में 9 भक्तों को ज्ञानदीक्षा व दो ब्रह्मचारियों को ब्रह्मचर्य की दीक्षा देकर सनातन धर्म व संस्कृति की दीक्षा प्रदान की। आचार्य पं. पवन दत्त मिश्र व पं. सम्मितानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि पांच दशक के बाद मां काली व भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्योत्सव एक ही तिथि को आ रहा है। इस मौके पर पांच से सात सितंबर तक विश्व कल्याण महायज्ञ का आयोजन किया जायेगा।