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गन्ना समिति चेयरमैनों को भी चाहिए वित्तीय अधिकार!

जागरण संवाददाता, रुड़की : गन्ना समिति बोर्ड के चेयरमैन भी अब वित्तीय अधिकार चाह रहे हैं, इसके चलते सम

By Edited By: Published: Sun, 30 Aug 2015 12:59 AM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2015 12:59 AM (IST)
गन्ना समिति चेयरमैनों को भी चाहिए वित्तीय अधिकार!

जागरण संवाददाता, रुड़की : गन्ना समिति बोर्ड के चेयरमैन भी अब वित्तीय अधिकार चाह रहे हैं, इसके चलते समिति के कर्मचारियों की परेशानी बढ़ गई है। इसके लिए गन्ना समितियों के चेयरमैन आपस में लामबंद होना शुरू हो गए हैं। वहीं अंदरखाने चीनी मिलें भी इस बात को लेकर विरोध की तैयारी में हैं। हालांकि कोई भी अभी इस मसले पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं हैं।

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अभी तक चीनी मिलों की ओर से गन्ना किसानों को गन्ने का जो भुगतान दिया जाता है, वह पहले गन्ना समिति के एकाउंट में जाता है। इसके बाद गन्ना समिति भुगतान की एडवाइज तैयार करती है और बैंकों को चेक भेजती है। चेक पर गन्ना समिति के सचिव और संबंधित समिति की गन्ना विकास परिषद के ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक के हस्ताक्षर होते हैं। अब गन्ना समिति के चेयरमैन भी चेक पर हस्ताक्षर करने का अधिकार लेने के लिए लामबंद होना शुरू हो गए हैं। सूत्रों की मानें तो एक गन्ना समिति की बोर्ड बैठक में तो इस तरह का प्रस्ताव तक लिख दिया। हालांकि बाद में कतिपय कारणों के चलते इस प्रस्ताव को कार्यवाही से हटा दिया है। फिर भी चेयरमैनों की ओर से गन्ना आयुक्त और गन्ना सचिव को इस बाबत पत्र भेजे जा रहे हैं, जिसमें गन्ना मूल्य भुगतान के चेक पर हस्ताक्षर का अधिकार मांगा जा रहा है। इस बात की जानकारी जैसे ही चीनी मिलों को हुई तो वह भी दबी जुबान से इसका विरोध करने पर उतर आई हैं। सूत्रों की मानें तो चीनी मिलें इस बात को लेकर आशंकित हैं कि यह अधिकार चेयरमैन को भी मिल जाता है तो भुगतान में और ज्यादा दिक्कत आएगी। हालांकि इकबालपुर गन्ना समिति के चेयरमैन चौधरी महावीर ¨सह ने बताया कि यह शासन स्तर का मामला है। इस बाबत सभी चेयरमैनों की आपस में बैठक होने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

गन्ना आयुक्त डा.आनंद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि गन्ना समितियों का पूरा एक बायलॉज है जिसको आसानी से नहीं बदला जा सकता है। इस संबंध में जानकारी मिली है, लेकिन विभाग के स्तर से इसमें कुछ नहीं हो सकता। कैबिनेट में प्रस्ताव पास हो, इसके बाद शासनादेश जारी हो, तब कहीं जाकर यह अधिकार मिल सकता है। मौजूदा एक्ट में तो इसका प्रावधान नहीं है।


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