तटीय क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा, सेना से साधा संपर्क
संवाद सूत्र, लक्सर: मानसून में तटीय इलाकों में एक बार फिर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। डुमनपुरी ग
संवाद सूत्र, लक्सर:
मानसून में तटीय इलाकों में एक बार फिर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। डुमनपुरी गांव के समीप गंगा पर बने तटबंध से पानी का रिसाव शुरू हो गया है। इसके अलावा गंगा की सहायक नदी सोलानी का पानी भी खेतों में घुसना आरंभ हो गया। वहीं, आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन ने सेना से संपर्क साधा है। सैन्य अधिकारियों के साथ गंगा तटीय क्षेत्रों का दौरा किया।
लगातार हो रही बारिश के कारण गंगा व सोलानी नदी का जलस्तर में लगातार उतार-चढ़ाव आ रहा है। इससे तटीय इलाकों में एक बार फिर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। मंगलवार को गंगा का जल स्तर बढ़ने के साथ ही बालावाली से ईदरीशपुर तक बने नए तटबंध में डुमनपुरी गांव के समीप पानी का रिसाव शुरू हो गया। इससे खेतों की ओर पानी आने से ग्रामीणों में खलबली मच गई। हालांकि, प्रशासन अभी खतरे जैसी किसी बात से इन्कार कर रहा है। इसके अलावा सोलानी नदी में रेलवे की भूमि पर अधूरे पड़े तटबंध के निर्माण कार्य का खामियाजा भी शायद ग्रामीणों को भुगतना पड़ेगा। सोलानी का जल स्तर बढ़ने पर इस जगह से सोलानी का पानी खेतों में घुसना शुरू हो गया है। राहत वाली बात यह है कि जल स्तर अभी खतरे के निशान के पार नहीं गया है। जल स्तर बढ़ने पर पानी तटबंध से निकलकर खेतों में घुसना शुरू हो जाता है। वहीं, किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन ने बंगाल इंजीनिय¨रग ग्रुप (बीईजी) रुड़की से संपर्क साधा है। मंगलवार को एसडीएम प्रत्यूष ¨सह, तहसीलदार प्रकाश शाह ने बीईजी के कैप्टन वाइएल ¨सह व सूबेदार दिनेश कुमार के साथ शेरपुर बेला, मांडाबेला, रायसी, मखियाली आदि इलाकों का दौरा किया। इस दौरान आपात स्थिति में सेना की मदद लेने को लेकर विचार-विमर्श किया गया। सूबेदार दिनेश कुमार ने प्रशासन को बताया कि सेना के पास पंद्रह बोट व 200 लाइफ जैकेट व अन्य साजो-सामान उपलब्ध है। आपात स्थिति में सूचना मिलने पर एक घंटे के भीतर ही सूना मदद के लिए क्षेत्र में पहुंच जाएगी।
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बनेंगे राहत शिविर
बाढ़ की स्थिति में ग्रामीणों की सहायता के लिए प्रशासन रायसी व खानपुर में एक-एक राहत शिविर बना रहा है। यहां खाद्यान के साथ ही पशुओं के लिए चारा व अन्य जरूरी चीजों की व्यवस्था की जा रही है। वहीं, गंगा व सोलानी से सटे गांवों में ग्रामीण जागकर रात काट रहे हैं।