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लो वोल्टेज से नहीं चल पा रही मशीनें

जागरण संवाददाता, हरिद्वार : सिडकुल की औद्योगिक इकाइयों को लंबे समय से क्वालिटी और क्वांटिटी बिजली नह

By Edited By: Published: Sun, 31 May 2015 01:01 AM (IST)Updated: Sun, 31 May 2015 01:01 AM (IST)
लो वोल्टेज से नहीं चल पा रही मशीनें

जागरण संवाददाता, हरिद्वार : सिडकुल की औद्योगिक इकाइयों को लंबे समय से क्वालिटी और क्वांटिटी बिजली नहीं मिल पा रही है। वोल्टेज कम होने के कारण उद्योगों में लगी मशीनें ट्रिप हो रही हैं, जिससे उद्यमियों को खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है।

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सिडकुल में 600 से अधिक कंपनियां काम कर रही हैं। ये कंपनियां इसलिए यहां स्थापित हुई थी कि यहां उन्हें पर्याप्त और सही वोल्टेज की बिजली मिल सकेगी। लेकिन, उद्योगों को न तो पर्याप्त बिजली मिल रही है और न ही सही वोल्टेज। 24 घंटे में पांच से छह घंटे कटौती की जा रही है। बिजली कटौती का ऊर्जा निगम ने समय भी तय नहीं किया है। इससे उद्योग स्वामियों को परेशानी झेलनी पड़ती है। सबसे अधिक परेशान उद्यमी सही वोल्टेज की बिजली को लेकर हैं। कम वोल्टेज की बिजली के कारण मशीनें बीच में ही बंद हो रही हैं। इसके चलते उद्योगों को हर दिन आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

दोगुनी हो जाती है लागत

सिडकुल की कंपनियों में लगी मशीनों को चलने के लिए 360 वोल्ट बिजली निरंतर चाहिए। लेकिन, वर्तमान समय में 330 से लेकर 350 वोल्ट बिजली मिल रही है। ऐसे में उद्यमियों को जेनरेटर प्रयोग करना पड़ रहा है।

सबसे बड़ी समस्या सही वोल्टेज की बिजली के न मिलने की है। जो उद्योगों के लिए सबसे अधिक नुकसानदायक है। इससे मशीनों में भी दिक्कतें आ रही हैं। इस मामले में ऊर्जा निगम से भी शिकायत की गई है।

-राज अरोड़ा, महासचिव, सिडकुल मैन्यूफैक्चर एसोसिएशन

बिजली कटौती का सही समय निश्चित नहीं किया गया है। 24 घंटे के अंतराल में पांच से लेकर छह घंटे की कटौती की जा रही है। इससे उत्पादन प्रभावित रहा।

-संजय माथुर, जीएम, एलुपम कंपनी

उद्योग चलाने के लिए बिजली सबसे महत्वपूर्ण है। लेकिन, जिस तरह की बिजली अभी उद्योगों मिल रही है। वह सही और पर्याप्त नहीं है।

-सुधीर मेहता, महासचिव, सिडकुल इंडस्ट्रियल एसोसिएशन

जहां-जहां कम वोल्टेज की बिजली की समस्या है। उन क्षेत्रों में अतिरिक्त ट्रांसफार्मर लगाए जा रहे हैं। इन दिनों सिडकुल में बिजली आपूर्ति सुचारु है, जो भी कटौती होती है, वह स्थानीय स्तर से नहीं की जाती है।

-राकेश कुमार, ईई, ऊर्जा निगम सिडकुल


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