उत्तराखंड में पहले ही फेल हो चुका है मैगी का सैम्पल
जागरण संवाददाता, हरिद्वार उत्तर प्रदेश में मानकों के अनुरूप न पाए जाने पर मैगी (नूडल्स) के खिलाफ ब
जागरण संवाददाता, हरिद्वार
उत्तर प्रदेश में मानकों के अनुरूप न पाए जाने पर मैगी (नूडल्स) के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई इन दिनों सुर्खियां बटोर रही हैं, दूसरी ओर उत्तराखंड में छह माह पहले हुई जांच में यह सैंपल फेल पाए गए। हालांकि सेंट्रल लैब के क्लीन चिट देने से इस पर कार्रवाई नहीं की गई।
देश में घर-घर में खासकर छोटे-छोटे बच्चों के बीच खास स्थान बना चुके मैगी नूडल्स लोगों के सेहत के साथ बड़ा खिलवाड़ कर रही है। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में इस तथ्य के उजागर होने के बाद कंपनी और उसके उत्पादों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई की जा रही है। बाजारों से बड़े पैमाने पर मैगी को वापस लिया जा रहा है, बावजूद इसके राज्य का महकमा मैगी की जांच, इसकी बिक्री पर रोक और लोगों को जागरूक करने के बजाय गहरी नींद सोया हुआ है। हालांकि पहले कार्रवाई को लेकर लापरवाह खाद्य सुरक्षा विभाग एक बार फिर से सैम्पलिंग की तैयारी में है।
खाद्य निरीक्षक दिलीप जैन ने बताया कि दिसंबर 2014 में नेस्ले इंडिया की ओर से बनाई मैगी के सैम्पल भरे थे, जो रुद्रपुर लैब में फेल पाए। इसमें मानव सेहत के लिए बेहद खतरनाक सीसा व एमएसजी तय मानकों से कहीं अधिक पाया था। बाद में सेंट्रल लैब पुणे ने मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) व सीसा की जांच किए बिना ही सैम्पल पास कर दिया। हालांकि इन दोनों तत्वों की जांच को कहा भी गया था। इसी आधार पर राज्य में कार्रवाई रोक दी थी।