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हादसों के बाद भी नहीं टूट रही नींद

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: गंगा घाटों पर लगातार हो रहे हादसों से जिला प्रशासन कोई सीख नहीं ले रहा है

By Edited By: Published: Tue, 05 May 2015 05:07 PM (IST)Updated: Tue, 05 May 2015 05:07 PM (IST)
हादसों के बाद भी नहीं टूट रही नींद

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: गंगा घाटों पर लगातार हो रहे हादसों से जिला प्रशासन कोई सीख नहीं ले रहा है। प्रशासन की लापरवाही से अनजान यात्रियों को जान से हाथ धोना पड़ रहा है। पहले भी गंगा घाटों पर कई लोग डुब चुके हैं। बावजूद इन घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए है।

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सोमवार को देहरादून निवासी बिट्टू आठ माह के बेटे का मुंडन कराने आए थे। उनके साथ भांजी राखी और रिश्तेदार का बेटा अभिषेक दूधियाबंद ठोकर नंबर एक पर गंगा में नहाने गए थे। दोनों को पानी के तेज बहाव का अंदाजा न होने से बह गए। जल पुलिस के जवानों ने दोनों की काफी तलाश की, लेकिन उनका पता नहीं चल सका है। यह कोई पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी जनवरी में देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के तीन छात्र गंगा में डूब गए थे। 3 अप्रैल को भी पाकिस्तान से आए 94 लोगों के जत्थे में से एक व्यक्ति की गंगा में डूबकर मौत हुई थी। इसके बावजूद प्रशासन की नींद नहीं टूट रही है। अभी तक घाटों पर रैलिंग व चेन नहीं लगी हैं। प्रशासन की लापरवाही का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि सर्वाधिक भीड़भाड़ वाले हरकी पैड़ी पर ही कई स्थानों पर रैलिंग टूटी हैं। सप्तऋषि स्थित घाटों की स्थिति तो और भी दयनीय है। घाटों में कहीं भी चेतावनी बोर्ड तक नहीं लगाए हैं। इसके अलावा शहर के सुभाष घाट, राम घाट, बिरला घाट, चंडी घाट, लवकुश घाट, वेद निकेतन घाट, शालीग्राम घाट आदि पर भी सुरक्षा, लाइट व सफाई की उचित व्यवस्था नहीं है।

घाटों पर इन सुविधाओं की है दरकार

-घाटों पर फिसलन को दूर करने के लिए नियमित सफाई व्यवस्था

-जगह-जगह चेन पकड़ने की सुविधा

-घाटों पर सुरक्षा के लिए रै¨लग व उचित प्रकाश की व्यवस्था

-घाटों पर नियमित रूप से जल पुलिस की तैनाती

यात्रियों की डूबने का आंकड़ा

वर्ष डूबने वालों की संख्या

2012 23

2013 19

2014 17

2015 10 अब तक

संतों ने भी उठाया था गंगा घाटों का मुद्दा

2 मई को डामकोठी पर आयोजित बैठक में संतों ने मुख्यमंत्री हरीश रावत के सामने भी घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था करने की बात कही थी। संतों ने कहा था कि घाटों पर गंदगी से लेकर सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम शून्य हैं। इससे आए दिन लोगों के डूबने की सूचनाएं आती रहती हैं। संतों ने मुख्यमंत्री से घाटों की स्थिति में सुधार की भी मांग की थी।

¨सचाई विभाग को गंगा घाटों पर चेतावनी बोर्ड, रै¨लग, पानी की गहराई आदि जानकारी देने संबंधी सूचना पट लगाने को कहा है।

एसए मुरुगेशन, मेलाधिकारी


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