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जनरेटर तो दूर जलसंस्थान के पास टैंकर तक नहीं

जागरण संवाददाता, रुड़की: भीषण गर्मी में आपात स्थिति से निपटने को जलसंस्थान के पास पुख्ता इंतजाम नहीं

By Edited By: Published: Mon, 27 Apr 2015 05:49 PM (IST)Updated: Mon, 27 Apr 2015 05:49 PM (IST)
जनरेटर तो दूर जलसंस्थान के पास टैंकर तक नहीं

जागरण संवाददाता, रुड़की: भीषण गर्मी में आपात स्थिति से निपटने को जलसंस्थान के पास पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। शहर में लगे ट्यूबवेलों पर जनरेटर तो दूर जनता की प्यास बुझाने को खुद का टैंकर तक नहीं हैं। क्षेत्र विशेष में पेयजल संकट उत्पन्न होने पर जलसंस्थान को इसके लिये निगम का मुंह ताकना पड़ता है। विभागीय अधिकारी भी इसके लिये गंभीर नहीं दिख रहे।

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तपिश बढ़ने के साथ शहर और आसपास के क्षेत्रों में बिजली की आंख मिचौनी शुरू हो गई है। गर्मी की शुरुआत में ही विभाग के इंतजाम जवाब देने लगे हैं तो मई और जून में मांग के अनुरूप बिजली न मिलने से शहरियों को रोस्टिंग की मार भी झेलनी पड़ती है। लो वोल्टेज की शिकायतें भी आम रहती हैं। बिजली के अभाव में ट्यूबवेल संचालित न होने से जनता को घंटों बगैर बिजली-पानी के रहना पड़ता है। हलक तर करने को पर्याप्त पानी न मिलने से लोगों का गुस्सा सड़कों पर भी उतरता है। बावजूद इसके जलसंस्थान आपात स्थिति से निपटने को गंभीर नहीं है। बताते चलें कि रुड़की नगर क्षेत्र में पानी की आपूर्ति को चार ओवर हेडटैंक (ओएचटी) और 20 ट्यूबवेल हैं। हैरत की बात यह है कि इनमें से किसी भी ट्यूबवेल पर जनरेटर की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में बिजली गुल होते ही जलापूर्ति ठप पड़ने से पानी को हाहाकार मच जाता है। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत क्षेत्र विशेष में जलापूर्ति को जलसंस्थान के पास टेंकर भी नहीं है। जरूरत पड़ने पर इसके लिये नगर निगम का मुंह ताकना पड़ता है।

आबादी हजारों में टैंकर दो

नगर निगम के पास भी पानी के महज दो टैंकर हैं। जो शहर की जरूरत के हिसाब से नाकाफी है। जलसंस्थान के आंकड़ों पर गौर करें तो शहर में 10,803 कनेक्शनधारक हैं। एक परिवार में यदि चार सदस्य भी हों तो उपभोक्ताओं की संख्या करीब 40 से 45 हजार बैठती है। महज दो टैंकरों से इतनी बड़ी आबादी की प्यास कैसे बुझेगी इसका सही जवाब जलसंस्थान अफसरों के पास भी नहीं है।

'जलसंस्थान के किसी भी ट्यूबवेल पर जेनरेटर नहीं है। पूर्व में इसका प्रस्ताव भेजा गया था। जरूरत पड़ने पर नगर निगम के टैंकर से जलापूर्ति की जाती है।'

अशोक कुमार, एई, जलसंस्थान


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