मालगुजारी वसूली, बड़ा बकाया शेष
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: मार्च फाइनल है तो कुछ विभाग बजट खर्च करने की जल्दी में हैं तो तहसील प्रशा
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: मार्च फाइनल है तो कुछ विभाग बजट खर्च करने की जल्दी में हैं तो तहसील प्रशासन बकाया वसूली में लगा है। मालगुजारी का राजस्व तो प्रशासन ने वसूल कर दिया, लेकिन टॉप टेन बकायेदारों से वसूली पूरी नहीं हो पा रही है। इनका मामला कानूनी उलझनों में फंसा है।
हर साल मार्च फाइनल विभागों के लिए सरगर्मी भरा होता है। निर्माणदायी विभागों में खर्च की रफ्तार बढ़ाने के लिए हाथ पांव मारे जा रहे हैं, तो तहसील उन लोगों से वसूली की प्रक्रिया में लगा है, जिन पर विभिन्न विभागों का देय बकाया है। टाप टेन बकायेदारों के अधिकांश मामलों में तहसील प्रशासन के लिए वसूली चुनौती बनी हुई। व्यापार कर वसूली का एक मामला सिडकुल की एक कंपनी से संबंधित है। कंपनी की अचल संपत्ति को सिडकुल ने आवंटित किया है। इसलिए सिडकुल की अनुमति के बगैर नीलामी नहीं हो सकती। स्टांप देय का एक अन्य मामला भी सिडकुल की कंपनी से जुड़ा है। इसमें राजस्व परिषद से स्थगन मिला हुआ है। इसके अलावा कुछ मामले बैंकों से संबंधित है। इसमें कुछ बोक्सा जनजाति के लोग हैं। नियमानुसार बोक्सा जनजाति की जमीन नीलाम नहीं की जा सकती। इसी तरह एक बकायेदार को दैवीय आपदा में नुकसान हुआ। इस कारण वसूली प्रक्रिया अधूरी है। वहीं, तहसील प्रशासन ने मालगुजारी से संबंधित वसूली की प्रक्रिया पूरी कर दी है। मालगुजारी में सिंचाई व काश्तकारों पर लगने वाला कर है। साढ़े सोलह बीघा से अधिक की भूमि वाले काश्तकार पर मालगुजारी लगती है। यह व्यवस्था अंग्रेजी शासनकाल से ही चली आ रही है।
मद धनराशि
व्यापार कर 1.13 करोड़
स्टांप देय 1.11 करोड़
बैंक देय करीब 50 लाख
बकाया वसूली की प्रक्रिया जारी है। बड़े बकायेदारों से वसूली के संबंध में अलग से शासनादेश है। मार्च फाइनल तक वसूली पूरी कर ली जाएगी।
डीएम उनियाल, तहसीलदार