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सफाई अभियान,,,, पैसा खर्च, फिर भी अधूरी सफाई

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: शहर की सफाई का दावा कर नगर निगम से भारी भरकम रकम की एवज में अनुबंध करने व

By Edited By: Published: Wed, 29 Oct 2014 06:03 PM (IST)Updated: Wed, 29 Oct 2014 06:03 PM (IST)
सफाई अभियान,,,, पैसा खर्च, फिर भी अधूरी सफाई

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: शहर की सफाई का दावा कर नगर निगम से भारी भरकम रकम की एवज में अनुबंध करने वाली कंपनी केआरएल अभी तक अपने दावे पर खरा नहीं उतर सकी है। हालात यह हैं कि तीस वार्डों में से अभी तक वह मात्र दस वार्डों में ही कूड़ा उठाने का आधा-अधूरा काम ही शुरू कर सकी है। इन वार्डों में भी सफाई की स्थिति बेहद खराब है। कंपनी के काम की आड़ में नगर निगम भी अपनी जिम्मेदारी को वहन नहीं कर रहा है। नतीजतन शहर में हर कहीं गंदगी और कूड़े का अंबार लगा हुआ है। नाले-नालियों में सिल्ट और गंदगी सड़ कर सड़ांध फैला रही है। यही नहीं शहरी क्षेत्र से निकलने वाले जैविक-अजैविक कूड़े के उचित निस्तारण तक की व्यवस्था नहीं कर सकी है। कंपनी की ओर से जैविक और अजैविक कूड़े के अलग-अलग कलेक्शन की तक व्यवस्था नहीं की गई है। कूड़ा भंडारण को नियत स्थानों पर भी जैविक और अजैविक कूड़ा एकत्र करने के लिए अलग-अलग कूड़ेदान तक नहीं रखे हैं। और तो और कंपनी न तो अपने कर्मचारियों और न ही आम जनता को जैविक और अजैविक कूड़े के वर्गीकरण की ही कोई जानकारी दे रही। इसके चलते यहां आज भी लोग कूड़ा फेंकने को अधिकांशत: पॉलीथिन का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। जब से केआरएल कंपनी से शहरी क्षेत्र में कूड़ा निस्तारण का काम अपने हाथों में लिया है, शहरी क्षेत्र का हाल-बेहाल है। नगर निगम प्रशासन व्यवस्था सुधार को कोई कदम नहीं उठा रहा, उल्टे केआरएल की आड़ में अपनी जिम्मेदारियों मसलन सड़क और नाले- नालियों की सफाई के काम से पल्ला झाड़े हुए हैं। निजी कंपनी केआरएल से हुए अनुबंध में शहर के सभी तीस वार्डो से घर-घर जाकर कूड़ा जमा करना, सड़कों पर जमा होने वाला कचरा उठाना, नाले-नालियों से निकली सिल्ट उठाना और इस कचरे को वर्गीकृत कर निस्तारित करना शामिल था। ऐसा हो नहीं रहा। कंपनी कर्मचारी नालियों व कॉलोनियों -मोहल्लों की सड़कों की सफाई कर एकत्र कूड़े के निस्तारण का काम ठीक से नहीं किया जा रहा। बीस वार्डों में तो कोई भी काम नहीं हो रहा।

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योजना के अनुसार कंपनी को हर घर से जैविक-अजैविक कचरा अलग जमा करना था। कंपनी की लापरवाही से यह योजना भी परवान नहीं चढ़ पाई। कंपनी अपने कर्मचारियों और आम जनता को इसके बारे में जागरूक तक नहीं कर सकी है। अपने कर्मचारियों को अलग-अलग कूड़ा एकत्र करने का प्रशिक्षण व सामान तक उपलब्ध नहीं करा सकी। नियमानुसार कंपनी को सभी वार्डो के सभी मुख्य स्थानों पर जैविक-अजैविक कचरे के कूड़ेदान भी रखने थे, इन दो वर्षोँ में कंपनी यह काम भी नहीं कर सकी है। अपनी इस कारगुजारी पर कंपनी अधिकारियों का कहना है कि जब तक कूड़ा निस्तारण संयंत्र नहीं लगता तब तक कचरे के वर्गीकरण का कोई फायदा नहीं है।

'कंपनी और नगर निगम के बीच कुछ बिंदुओं पर सहमति न होने के कारण कंपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रही है। कचरा वर्गीकरण के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा।

कुलदीप तिवारी, हरिद्वार प्रभारी, केआरएल कंपनी


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